बीजिंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही देश को समृद्ध बनाने के साथ पड़ोसी देशों से मेलजोल बनाने में भरोसा रखते हैं। लेकिन पड़ोसी देशों की कथनी और करनी में फर्क हमेशा से देखा गया है। मंगलवार को रायसीना संवाद-2 में पड़ोसी देशों से मेलजोल और संबंधों को सुधारने की बात कहते हुए पीएम मोदी ने भले ही चीन और पाकिस्तान को नसीहत देते हुए आतंक के रास्ते को छोड़ने की बात कही थी। मगर उसका कोई ख़ास असर दिखाई नहीं दे रहा है। इस मामले में चीन ने साफ़ जवाब दिया है कि एनएसजी और अजहर के मुद्दे पर उसका कोई रुख बदलने वाला नही है।
हालांकि भारत और चीन के उदय से दोनों देशों के लिए अप्रत्याशित अवसर पैदा होने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की सराहना करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बुधवार को कहा कि ठोस और स्थिर सहयोग स्थापित करना दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, जहां तक प्रधानमंत्री मोदी की सकारात्मक टिप्पणियों का सवाल है तो हम इसकी सराहना करते हैं। दोनों देशों के नेतृत्व एक दूसरे के निरंतर संपर्क में हैं और एक दूसरे से गहन बातचीत कर रहे हैं। हमें एक-दूसरे पर उंगली उठाने और मुख्य हितों की उपेक्षा करने की बजाय मतभेदों को मित्रवत बातचीत के जरिए इसे दूर करना होगा।
चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने और एनएसजी की सदस्यता के मुद्दे को दोनों देशों के रिश्तों में बाधा नहीं बनने देना चाहिए।
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र से मसूद और उसके आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर बैन की कोशिशों पर भी चीन ने अड़ंगा लगाया था।
ऐसी स्थिती में यदि एक बार फिर से दोस्ताना संबंधों के बारे में सोचना भारी पड़ सकता है। वो भी उस स्थिति में जब चीन ने साफ़ तौर पर कह दिया है कि वह किसी भी स्थिती में अपना रुख बदलने वाला नहीं है। ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है कि चीन दोबारा ऐसे ही भारत के कामों में अडंगा नहीं लगाएगा।