उत्तराखंड के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कोविड की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया है। योगी सरकार के इस फैसले से विश्व हिंदू परिषद (विहिप) संतुष्ट नहीं है। विहिप ने योगी सरकार ये कांवड़ यात्रा के रद्द फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया है। इससे पहले विहिप ने योगी सरकार के कानून वन चाइल्ड पॉलिसी पर भी सवाल उठाए थे।
दरअसल, यूपी और उत्तराखंड सरकार के कांवड़ यात्रा रद्द करने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने दोनों राज्य सरकारों से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने और कोरोनो वायरस प्रतिबंधों के साथ धार्मिक तीर्थ यात्रा की अनुमति देने का आग्रह किया है। सुरेंद्र जैन ने कहा कि कांवड़ यात्रा हिंदुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है जो देश को एकता में बांधती है। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जाना चाहिए लेकिन यात्रा पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है। मेरी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों से अपील है कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और यात्रा की अनुमति दें।
यात्रा आयोजित करने के तरीके खोजने के लिए शासी निकायों को सुझाव देते हुए सुरेंद्र जैन ने कहा कि न्यायपालिका को अपने फैसले में चयनात्मक नहीं होना चाहिए। लोगों की धार्मिक आस्था को दबाने के बजाय, राज्य सरकारों और सुप्रीम कोर्ट को भविष्य में स्थिति को नियंत्रित करने के तरीके खोजने चाहिए।उन्होंने यह भी बताया कि हाल के दिनों में कुछ प्रतिबंधों के साथ जगन्नाथ यात्रा की अनुमति दी गई थी। इसके अलावा बकरीद से पहले, केरल सरकार ने राज्य में त्योहार के जश्न के कारण वीकेंड लॉकडाउन से तीन दिन की रियायत की घोषणा की।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले उत्तराखंड सरकार ने कोविड की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए कांवड़ यात्रा रद्द कर दिया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने भी शनिवार को यात्रा निलंबित करने का निर्णय लिया है।
यूपी जनसंख्या नियंत्रण कानून पर विहिप ने योगी सरकार से की थी ये मांग
विश्व हिंदू परिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि वह ड्राफ्ट से एक बच्चे के नियम को हटा दें। विहिप का कहना है कि इससे समाज में असंतुलन बढ़ जाएगा। बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण बिल का ड्राफ्ट उत्तर प्रदेश विधि आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया और लोगों से 19 जुलाई तक आपत्तियां मांगी हैं।
इस नियम पर जताई गई आपत्ति
इस बिल की प्रस्तावना में लिखा है कि यह बिल अन्य बातों के साथ-साथ जनसंख्या को स्थिर करने और दो बच्चों के मानदंड को बढ़ावा देने के लिए लाया जा रहा है। विहिप दोनों बातों से सहमत है। हालांकि, बिल के सेक्शन 5, 6(2) और 7 कहा गया है कि जिन सरकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों का सिर्फ एक ही बच्चा होगा, उन्हें इंसेटिव दिया जाएगा। इस नियम पर विहिप ने आपत्ति जताई है।