पवन ऊर्जा दिलाएगी रोजगार और रोकेगी पलायन भी

पवन, ऊर्जा का ऐसा स्रोत है, जिसके सहारे न सिर्फ कोरोना काल में न सिर्फ नए रोजगारों का सृजन हो सकता है अपितु पहाड़ों और मरुस्थल से मैदानी इलाके की ओर तेजी से हो रहे पलायन को रोकने में भी यह बेहद कारगार साबित हो सकती है।

पवन ऊर्जा के विकल्प को अमल में लाने की असीम संभावनों पर 15 जून को ग्लोबल विंड डे के मौके पर विश्व भर में नए सिरे से अध्ययन की शुरुआत होगी।

इस अध्ययन में अमेरिका, यूके, जर्मनी, स्पेन, कनाडा, फ्रांस, इटली, ब्राजील आदि देशों के साथ ही भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल होंगे। बीएचयू के विज्ञानी भी पवन ऊर्जा के माध्यम से रोजगार की नई संभावनाएं तलाशने में हिस्सेदार बनेंगे।

नौकरियों का सृजन, पलायन पर अंकुश के साथ ही अर्थव्यवस्था में इसके विशिष्ट योगदान के पहलुओं की भी तलाश की जाएगी। बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के वैज्ञानिक प्रो. कृपा राम ने बताया कि भारत के पहाड़ी और मरुस्थली इलाकों में पवन ऊर्जा बेहतर विकल्प है।

पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। पवन, ऊर्जा का नित्य नवीनीकृत होने वाला स्रोत है। किसी भी प्रकार के प्रदूषण,अम्लीय वर्षा अथवा कोयले की खदानों के अपवाह जैसी समस्या भी इसके साथ नहीं है। यह मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एजर्नी में बदलने का पूर्ण प्रदूषण रहित माध्यम है।

इस बार की थीम

दुनिया भर में पवन ऊर्जा का उपयोग और उसकी शक्ति के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 15 जून को वैश्विक पवन दिवस मनाया जाता है। इस बार ‘महामारी काल में पवन ऊर्जा और रोजगार सृजन की थीम पर इसका आयोजन किया जा रहा है। यूरोपीय पवन ऊर्जा संघ (ईडब्ल्यूईए) ने वर्ष 2007 में पहली बार ग्लोबल विंड डे मनाया था। अब तक दुनिया भर के 80 देश विंड एनर्जी के क्षेत्र में काम करने के लिए एक साथ आ चुके हैं।

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