राजधानी पटना और राज्य के अन्य हिस्सों से होली पर घर आए लोगों से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। पंद्रह दिन पहले पूरे राज्य से कोरोना के मामले जहां 60-70 तक तथा पटना में 25 से 30 तक सिमट रहे थे, वहीं अब यह आंकड़ा एक बार फिर डराने वाला हो गया है।
पटना में लगातार यह आंकड़ा सौ के पार पहुंच रहा है। रविवार को 129, सोमवार को 106 संक्रमित मिले। इसके पहले 100 से अधिक कोरोना संक्रमित 70 दिन पहले 20 जनवरी को 105 मिले थे। हालांकि जांच कम होने के चलते मंगलवार को संक्रमितों की संख्या घट गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि होली की छुट्टी के बाद जब जांच बढ़ेगी तब संख्या फिर बढ़ सकती है।
यही नहीं, अस्पतालों के खाली हो रहे कोरोना वार्ड में भी मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने लगी है। मंगलवार को एम्स पटना में भर्ती मरीजों में से एक इंदौर से, एक गुजरात से तथा एक महाराष्ट्र से संक्रमित होकर पटना पहुंचा था।
नई इलाके को ले रहा चपेट में
नए संक्रमित पटना के वीआईपी कॉलोनियों से लेकर कई महत्वपूर्ण कॉलोनियों से आ रहे हैं। पिछले साल जहां संक्रमण घनी और संकीर्ण बस्तियों जिनमें पटना सिटी, फुलवारीशरीफ, राजा बाजार-खाजपुरा, दीघा जैसे इलाके के अलावा बाहरी मजदूरों के आने से ग्रामीण इलाके में ज्यादा फैला था, वहीं इस बार खुले और बड़े मोहल्ले में कोरोना संक्रमित ज्यादा मिल रहे हैं। सोमवार को एम्स में भर्ती छह मरीजों में से पांच न्यू बैंक कॉलोनी दीघा, मलाही पकड़ी के एक अपार्टमेंट, बुद्धा कॉलोनी, गोला रोड और आशियाना नगर जैसे कॉलोनियों के हैं। इसके पहले भर्ती मरीजों में से राजेंद्रनगर, राजीव नगर, कंकड़बाग, कदमकुआं, बोरिंग रोड, एसके पुरी आदि इलाके के थे।
पटना सिटी से कम मिल रहे संक्रमित
पिछले एक सप्ताह में अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमितों पर नजर डालें तो इस बार पटना सिटी से संक्रमित कम मिल रहे हैं। पिछले साल पटना सिटी शहर का सबसे ज्यादा संक्रमित इलाका बन गया था। लेकिन इस बार वीआईपी और योजनाबद्ध तरीके से बसे मोहल्ले और अपार्टमेंट से ज्यादा संक्रमित मिल रहे हैं। एम्स पटना में कोरोना के नोडल पदाधिकारी डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि संक्रमितों में मध्यम वर्ग और उच्च मध्यमवर्ग आय के लोगों की संख्या इस बार ज्यादा मिल रही है। ये ऐसे लोग हैं जिनके यहां कोई ना कोई बाहर से आया है अथवा वे अपने काम से बाहरी राज्यों में गए थे। उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर अगर कड़ाई से कम से कम रैपिड एंटीजन किट से ही जांच हो जाती तो राज्य अथवा पटना में संक्रमण तेजी से नहीं फैलता।
भर्ती मरीजों में गंभीर नहीं
एम्स में श्वसन रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. दीपेंद्र कुमार ने बताया कि यद्यपि संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है लेकिन इस बार भर्ती मरीजों में कोरोना का प्रभाव जानलेवा नहीं दिख रहा है। पिछली बार अधिकांश भर्ती मरीज आईसीयू, वेंटिलेटर आदि पर जाने लगे थे। लेकिन इस बार सामान्य वार्ड में भी उनका इलाज अच्छा से हो जा रहा है। ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में उतनी परेशानी नहीं दिख रही है, जितनी पिछले साल के मरीजों में देखी जा रही थी। यही कारण है कि भर्ती मरीजों में अधिकांश बिना ऑक्सीजन के सहारे हैं।
कुछ दिन बरतनी होगी ज्यादा सावधानी
आईजीआईसी के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एके झा, एम्स के डॉ. संजीव, पीएमसीएच के डॉ. पीएन झा ने कहा कि होली के समय बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से लोग बिहार लौटे हैं। ऐसे में हजारों ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी जांच नहीं कराई है और सीधे अपने गांव-घर पहुंचे हैं। ऐसे लोगों में कोई एक भी संक्रमित होगा तो उससे कई दूसरे लोग संक्रमित हो सकते हैं। लक्षण हो या ना हो ऐसे लोगों को सबसे पहले अपनी कोरोना जांच करानी चाहिए। साथ ही उन्होंने लोगों से मास्क पहनने, हाथ की धुलाई व भीड़ से बचने की भी अपील की है।
जांच तेज करने की मांग
स्वास्थ्य विभाग के विडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी मंगलवार को जिले के स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने प्रधान सचिव के समक्ष इस समस्या को उठाया। सारण के सिविल सर्जन ने सऊदी अरब से आए एक व्यक्ति के नाम का उल्लेख करते हुए बताया कि उसने अकेले 17-18 लोगों को संक्रमित कर दिया है। अगर उसकी जांच एयरपोर्ट पर होती तो गांव में इस प्रकार का संक्रमण नहीं फैलता।