कानपुर जिले मेंबिकरू काण्ड के बाद हो रहे पंचायत चुनाव पर पुलिस ने अपनी नजरें गढ़ा दी हैं। ग्राम पंचायतों के चुनाव में हार-जीत का ठेका लेने वालों की निगरानी शुरू कर दी है। साथ ही गांवों में चौपालों पर भी नजर रखे है। पंचायत चुनाव से पहले व बाद में हुए पुराने विवादों का भी रिकॉर्ड जुटाया जा रहा है।
1995 से लेकर 2015 तक हुए पंचायत चुनाव में बिकरू समेत 25 से ज्यादा सीटों पर विकास दुबे की चलती थी। इसके साथ ही अधिकतर पंचायतों में उसके समर्थक व गुर्गों की चलती आ रही थी। सबसे ज्यादा दबाव आरक्षण कोटे में आई एससी व ओबीसी पंचायतों में होता था। पंचायत चुनाव में विकास समेत उसके गुर्गे व गांव के दबंग हार-जीत के ठेके के लिए बोली लगवाते थे। बोली लगाकर जो प्रधान बनता, वह पांच साल दबंगों की कठपुतली ही रहता। गांव का विकास दबंग के इशारे पर होता था। बिकरू काण्ड के बाद विकास दुबे का अंत हुआ तो गांवों में आतंक व पंचायत चुनाव में बोली लगने की बात सामने आई। इसलिए 2021 के चुनाव में दबंगों पर नकेल कसने के लिए पुलिस ने कमर कस ली है। बिकरू से लेकर सभी गांवों में निगरानी के साथ मुखबिरों को तैनात कर दिया है। दबंग व चुनाव का ठेका लेने वालों की सूची बनाई जा रही है। आरक्षण सूची जारी होने के साथ ही पुलिस गांव में होने वाली चौपाल पर नजर रख रही है। चौबेपुर इंस्पेक्टर कृष्ण मोहन राय ने कहा कि सभी बीट सिपाहियों को मुस्तैदी से कार्य करने को कहा गया है। चुनाव पूरी निष्पक्षता से कराए जाएंगे। एक-एक रिकॉर्ड को ध्यान में रखकर कार्य किया जा रहा है। माहौल बिगाड़ने व धमकाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।