स्कूलों में चल रहे खटारा वाहन बच्चोें की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। इनमें अधिकतर वाहन 15 साल की मियाद पूरी कर चुके हैं। एक ओर जहां स्कूल प्रबंधन इस ओर से आंखे मूंदे हैं तो वहीं जिला प्रशासन और परिवहन विभाग भी पूरी तरह लापरवाह बने हुए हैं। कई स्कूल ऐेसे हैं जिनके पास अपने वाहन तक नहीं हैं। ऐसे मेेें इन स्कूलों में लगे वाहन अधिकतर खटारा ही हैं।
जिले में परिषदीय, सीबीएसई और आईसीएससी तथा यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त एक हजार 103 विद्यालय संचालित है। इसके अलावा बहुत से विद्यालय बिना मान्यता के भी संचालित है। सभी विद्यालयों के नाम पर सड़क पर वाहन तो दौड़ रहें है। लेकिन एआरटीओ कार्यालय में केवल 153 वाहन पंजीकृत हैं। लेकिन कुछ प्रतिष्ठित स्कूलों को छ़ोड़ दिया जाए तो काफी स्कूलों के पास अपने वाहन नहीं हैं। ऐसे स्कूलों में डग्गामार वाहन ही बच्चों को ढोते हैं। सबकुछ जानने के बाद भी पुलिस और एआरटीओ विभाग मौन साधे हुए है। ऐसे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ढोने वाले अधिकांश वाहन सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों पर खरा नहीं उतरते।
एक अभिभावक के शिकायत करने पर मुख्यमंत्री कार्यालय से आए निर्देश पर एआरटीओ विगाभ सक्रिय हुआ। एआरटीओ श्यामलाल ने बुधवार से वाहनों की चेकिंग शुरू करा दी। गुरुवार को बिना परमिट, बिना लाइसेंट अथवा विभिन्न अनियमितताओं में 14 वाहनों का चालान किया गया। कहा कि अभियान लगातार चलेगा और गाइड लाइन का अनुुपालन न करने वालें वाहनों को सीज किया जाएगा।