लखनऊ । 50 साल से ऊपर के अक्षम अधिकारियों के खिलाफ चकबंदी विभाग ने कड़े कदम उठाए हैं। स्क्रीनिंग कमेटी ने सात अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति और तीन को बर्खास्त किया है। इसके साथ ही दो अधिकारियों को उनके मूल पदों पर वापस भेज दिया गया है।
चकबदी आयुक्त की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार जिन अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया गया है उनमें प्रमोद कुमार त्रिपाठी, बन्दोबस्त अधिकारी, बांदा, ओमकार नाथ, चकबंदी अधिकारी, संतरविदास नगर (भदोही), गिरीश कुमार द्विवेदी, सहायक चकबंदी अधिकारी, उन्नाव, राजकुमार शर्मा सहायक चकबंदी अधिकारी, एटा, वेदप्रकाश सिंह सहायक चकबंदी अधिकारी, बिजनौर, रमेश कुमार, सहायक चकबंदी अधिकारी, बलिया तथा वीर विक्रम गौड़, सहायक चकबंदी अधिकारी, सहारनपुर शामिल हैं।
इसी प्रकार सहारनपुर में तैनात चकबंदी अधिकारी रामकेश कटियार, मुजफ्फर नगर में तैनात चकबंदी अधिकारी सचेन्द्र बहादुर सिंह तथा लखनऊ में तैनात चकबंदी अधिकारी राम किशोर गुप्ता को बर्खास्त किया गया है। इनके अलावा अमरोहा में तैनात चकबंदी अधिकारी अजब सिंह तथा सहायक चकबंदी अधिकारी लक्ष्मीकांत सरोज को प्रारंभिक मूल वेतन पर प्रत्यावर्तित किया गया है। दो अधिकारियों को उनके प्रारम्भिक मूल वेतन पर प्रत्यावर्तित किये जाने का निर्णय लिया है।
चकबंदी आयुक्त डा. रजनीश दुबे ने बताया कि मुख्य सचिव की ओर से जारी शासनादेश के अनुपालन के क्रम में यह निर्णय लिया गया। गत 14 अगस्त को हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में इन अधिकारियों के खिलाफ आरोपों को देखते हुए यह फैसला किया गया। उन्होंने बताया कि जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है, उन पर अवैध धनराशि स्वीकार करने, लंबे समय से निलंबित रहने, परिनिंदा किए जाने आदि आरोप पहले से ही थे। इन्हें कई बार वृहद एवं लघु दंड भी दिया जा चुका था। जिन अधिकारियों को बर्खास्त किया गया था, उन पर ग्राम सभा की संपत्तियों तथा यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की भूमि को निजी खातेदारों को चक के रूप में आवंटित करने के आरोप थे।