अजीत सिंह वर्ष 2001 में भर्ती हुए थे। नियम के मुताबिक अजीत को रिटायर हो जाना था लेकिन प्रमोशन मिलने पर अजीत सेना नायक बन गए थे। इसकी वजह से दो वर्ष इनका कार्यकाल बढ़ गया था। बीस दिन पूर्व छुट्टी लेकर घर आए अजीत ने ड्यूटी पर जाते समय अपनी पत्नी प्रियंबदा से कहा था कि जल्द ही कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद रिटायर हो जाएंगे।
इसके बाद परिवार में ही पूरा समय व्यतीत करुंगा और बच्चों की पढ़ाई अच्छे से करवाई जाएगी लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। शुक्रवार की सुबह अजीत के मौत की सूचना पर कोहराम मच गया।
पिता अनिरुद्ध सिंह, भाई सुनील सिंह, मां तारा देवी और पत्नी प्रियंबदा सहित अन्य का हालबेहाल है। मौत की सूचना पर अजीत के दरवाजे पर जुटे लोग कभी उनके बड़ा बेटे आर्यन (11) और छोटा अंत सिंह (9) को देख रहे थे। तो कभी अद्र्धविक्षिप्त हो जा रही पत्नी और मां को संभाल रहे थे। अजीत की मौत से ना केवल उनका परिवार दुखी नजर आया बल्कि पूरे क्षेत्र में शोक की लहर थी। लोगों को उनके शव आने का इंतजार है।
दरवाजे पर जुटे लोगों से उनके पिता अनिरुद्ध सिर्फ एक ही बात कह रहे थे कि हमेशा के लिए खामोश हो गया हमारा अजीत।