सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने और आठ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने की मांग पर विचार करने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा भाषा एक राज्य तक सीमित हो सकती है, लेकिन धर्म का मामला पूरे देश के आधार पर तय होता है। ये याचिका अश्वनी उपाध्याय ने दायर की थी, जिसे खारिज किया गया है।
बता दें कि जनहित याचिका में अश्वनी उपाध्याय की मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट राज्यवार धार्मिक अल्पसंख्यक की पहचान के बारे में दिशा निर्देश तय करें। अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 की धारा 2 (सी) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। इसी कानून के तहते 23 अक्टूबर 1993 को पांच समुदायों मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक घोषित किया गया था।