यूपी पुलिस ने धर्मांतरण मामले की जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अब सभी जिलों में धर्मांतरण से संबंधित घटनाओं की बारीकी से पड़ताल की जा रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि घटनाओं के पीछे किसी संस्था का हाथ तो नहीं है? शादी के बाद धर्मांतरण के संबंधित मामलों में सहयोग करने वाली संस्थाएं भी पुलिस के रडार पर हैं। इस बीच गैंग का देशव्यापी दायरा होने के कारण इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी जा सकती है।
यूपी के दर्जन भर जिलों के अलावा देश के 24 प्रांतों तक अपना नेटवर्क फैला चुके धर्मांतरण गैंग की जांच में धर्मांतरण करने वाले व्यक्तियों और उनके परिवारों तक पहुंचना आवश्यक हो गया है। इस कारण जरूरी इनपुट हासिल करने के लिए एटीएस अब जिलों की पुलिस से भी सहयोग ले रही है।
एटीएस की रिमांड पर चल रहे मोहम्मद उमर गौतम और काजी जहांगीर आलम से पूछताछ में मिलने वाली जानकारी भी तत्काल पुष्टि कराई जा रही है। धर्मांतरण के लिए ‘साफ्ट टारगेट’ माने जाने वाले वर्गों तक इनकी पहुंच के बारे में भी जानकारी जुटाई जा रही है।
इन दोनों अभियुक्तों के सहयोग से नोएडा और दिल्ली में काम करने वाली संस्थाएं पहले से एटीएस की जांच के दायरे में हैं। नोएडा में चल रहे मूक बधिर बच्चों के स्कूल के बारे में पूरी जानकारी जुटा ली गई है।
सूत्रों के अनुसार इस मामले पर एनआईए भी नजर बनाए हुए है। एनआईए मुख्यालय से इस संबंध में इनपुट मंगाया गया है। माना जा रहा है कि इस बारे में जल्द ही फैसला हो सकता है। एटीएस की एफआईआर के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दिल्ली इकाई पहले ही केस दर्ज कर चुकी है।
ईडी अब धर्मांतरण के नाम पर होने वाली फंडिंग खासकर विदेशों से मिलने वाली मदद की छानबीन करेगा। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि ऐसे कार्यों के लिए हवाला के जरिए भी पैसा भेजा जाता है। ईडी ने भी इस संबंध में एटीएस से अब तक की जांच में मिले तथ्यों की जानकारी ली है। इस कार्य में सहयोग देने के के कारण चिह्नित संस्थाओं और व्यक्तियों को भी जांच के दायरे में रखा गया है।