दो महीने में साइकिल और उसके पार्ट्स की कीमतों में 30% उछाल; लखनऊ में हर महीने 100 करोड़ का कारोबार

  • लखनऊ साइकिल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन अरोड़ा बोले- पेट्रोल-डीजल और लोहे की बढ़ी कीमतों ने साइकिल के दाम बढ़ाए
  • लखनऊ में लुधियाना और दिल्ली से होती सप्लाई, फिर यहां से 17 जिलों में भेजा जाता है माल

साइकिल का इस्तेमाल सस्ता और स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा विकल्प है। 90 के दशक में साइकिल कमोबेश हर घर में होती थी। इसके बाद बाइक का चलन आया तो साइकिल घर के किसी कोने में जंग खाने लगी। लेकिन कोरोना महामारी आने के बाद तमाम लोगों ने एक बार फिर साइकिल की तरफ रुख किया। इससे उनका संदेश था कि साइकिल पर्यावरण के हित में है और इससे व्यायाम भी होता है।

लखनऊ में साइकिल की 400 दुकानें
लखनऊ में रिटेल और होलसेल मिलाकर करीब 400 दुकानें है। इसमें 300 रिटेल और 100 होल सेल की दुकानें है। इसमें प्रतिदिन सभी रिटेलर मिलकर 1000 से 1200 साइकिल बेचते हैं। इससे 70 से 80 लाख रुपए का कारोबार होता है। ऐसे में महीने के हिसाब से 22 से 25 करोड़ रुपए की बिक्री है। वहीं, होल सेल का कारोबार प्रतिदिन का 3 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। होल सेल कारोबारी यतीन का कहना है कि बिक्री काफी कम हो गई है। अकेले लाटूश रोड और अमीनाबाद में कुल मिलाकर होल सेल के 50 से ज्यादा कारोबारियों की दुकानें है। लखनऊ में हर महीने 100 करोड़ रुपए साइकिल का कारोबार होता है।

लखनऊ से इन जिलों को सप्लाई

गोंडा, बहराइच, सुल्तानपुर, आजमगढ़, उन्नाव, बस्ती, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, सीतापुर, संडीला, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबेरली, लालगंज, प्रतागगढ़ समेत कई जगहों पर लखनऊ से माल जाता है, जबकि लखनऊ में माल लुधियाना और दिल्ली से माल आता है।

लेकिन पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों का असर अब साइकिल पर भी पड़ रहा है। अब आप कहेंगे कि पेट्रोल-डीजल का साइकिल से क्या मतलब? दरअसल, माल ढुलाई महंगी होने के कारण बीते दो माह के भीतर साइकिल और उसके पार्ट्स के दामों में 10 से 30 फीसदी का उछाल आया है। जानकार बताते हैं कि इस महंगाई के पीछे मुख्य पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत का बढ़ना, लोहा, पाइप, चादर और कच्चे माल की लागत का बढ़ोत्तरी है।

बच्चों की 450 रुपए वाली साइकिल 700 से अधिक में बिक रही
लखनऊ साइकिल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन अरोड़ा का कहना है कि छोटे बच्चों के लिए जो रिक्शा या साइकिल पहले होल सेल में 450 से 500 रुपए में मिल जाती थी। अब वह 600 रुपए की पड़ रही है। रिटेलर के पास पहुंचने पर उसका दाम 700 रुपए या उससे ज्यादा हो जाता है। उन्होंने बताया कि पिछले दो महीने से लगातार रेट बढ़ते जा रहे हैं। जब भी माल मंगाया जाता है, ज्यादा रेट के साथ आता है। ऐसे में कारोबार पर भी असर पड़ रहा है। लोहा के दाम में प्रति किलो करीब 20 से 25 रुपए तक बढ़ोतरी हो चुकी है। वहीं, पेट्रोल और डीजल महंगा होने से प्लास्टिक दाना जो 90 रुपए किलो था, अब 150 के करीब जा चुका है।

लॉकडाउन के बाद बढ़ गई थी डिमांड
लॉकडाउन के कारण पार्क और जिम जाने से बेहतर लोगों ने साइकिल चलाना पसंद किया था। पिछले लॉकडाउन में तो शहर में गियर वाली साइकिल मिलना बंद हो गई थी। इस बार डिमांड तो नहीं बढ़ी है लेकिन निर्माण लागत बढ़ गई है। इसकी वजह से माल महंगा जरूर हो गया है।

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