रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को जमीन घोटाले के आरोपों पर अपनी सफाई पेश की। उन्होंने बताया कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का परकोटा और सुरक्षा दीवार (रिटेनिंग वाल) को वास्तु के अनुसार सुधारने व मंदिर परिसर के पूर्व और पश्चिम दिशा में यात्रियों के आवागमन मार्ग को सुलभ बनाने के लिए खुला मैदान रखने के साथ ही मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए आसपास के कुछ छोटे- बड़े मंदिरों और मकानों को खरीदना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि जिनसे खरीदा जायेगा उनके पुनर्वास के लिए उन्हें कहीं अन्यत्र भूमि भी दी जायेगी, इस कार्य के लिए भी भूमि की खरीदारी की जा रही है ।
क्रय और विक्रय का यह कार्य आपस के संवाद और परस्पर पूर्ण सहमति के आधार पर किया जा रहा है।सहमति के पश्चात् सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होते हैं।
सभी प्रकार की कोर्ट फीस व स्टांप पेपर की खरीदारी ऑनलाइन की जा रही है।सहमति पत्र के आधार पर भूमि की खरीददारी हो रही है। उसी के अनुसार सम्पूर्ण मूल्य विक्रेता के खाते में आनलाइन स्थानान्तरित किया जाता है।
उन्होंने कहा कि नौ नवम्बर 2019 को श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के बाद अयोध्या में भूमि खरीदने के लिए देश के असंख्य श्रद्धालु आने लगे। उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए बड़ी मात्रा में भूमि खरीद रही है। इस कारण अयोध्या में एकाएक जमीनों के दाम बढ़ गये।
उन्होंने कहा कि जिस भूखण्ड पर आरोप लगाया जा रहा है, वह भूखण्ड रेलवे स्टेशन के पास बहुत प्रमुख स्थान है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अभी तक जितनी भूमि क्रय की है यह खुले बाजार की कीमत से बहुत कम मूल्य पर खरीदी है।
ट्रस्ट महासचिव ने कहा कि प्रश्नगत भूमि को खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों ने सालों पहले जिस मूल्य पर रजिस्टर्ड अनुबन्ध किया था, उस भूमि को 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया गया। पुन: ट्रस्ट के साथ अनुबन्ध किया गया।
उन्होंने कहा कि जो कतिपय राजनीतिक लोग इस संबंध में प्रचार कर रहे है वह भ्रामक है और समाज को गुमराह करने के लिए है।
उन्होंने कहा कि संबंधित व्यक्ति राजनीतिक हैं व राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित हैं। मालूम हो कि 17 सितम्बर 2019 में प्रश्नगत भूमि का अनुबंध कुसुम पाठक पत्नी हरीश पाठक प्रथम पक्ष व बलराम यादव पुत्र तुलसीराम यादव के बीच हुआ था जिसमें प्रश्नगत भूमि का मूल्य दो करोड़ निर्धारित किया था।
इस रजिस्टर्ड अनुबंध के लिए डेढ़ लाख की स्टाम्प ड्यूटी भी अदा की गई थी।