उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने आज देश के प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। उन्होंने जस्टिस रंजन गोगोई का स्थान लिया। जस्टिस गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए हैं। जस्टिस बोबड़े को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
इस मौके पर उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कैबिनेट मंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। शपथ लेने के बाद जस्टिस बोबड़े ने अपनी मां का आशीर्वाद लिया। 63 साल के जस्टिस बोबड़े का कार्यकाल करीब 17 महीने का होगा और वह 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे।
नागपुर में हुआ जस्टिस बोबड़े का जन्म
जस्टिस बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 को नागपुर में हुआ। उनके पिता मशहूर वकील थे। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कला व कानून में स्नातक किया। 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं देने वाले जस्टिस बोबड़े ने मार्च, 2000 में बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में शपथ ली। 16 अक्तूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हुई।
बोबड़े ने कई अहम फैसले दिए
अयोध्या के अलावा जस्टिस बोबड़े और भी कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा रह चुके हैं। अगस्त, 2017 में तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा रहे जस्टिस बोबड़े ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया था। वह 2015 में उस तीन सदस्यीय पीठ में शामिल थे, जिसने स्पष्ट किया कि भारत के किसी भी नागरिक को आधार संख्या के अभाव में मूल सेवाओं और सरकारी सेवाओं से वंचित नहीं किया जा सकता। हाल ही में उनकी अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने बीसीसीआई का प्रशासन देखने के लिए पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अध्यक्षता में बनाई गई प्रशासकों की समिति को निर्देश दिया कि वे निर्वाचित सदस्यों के लिए कार्यभार छोड़ें।