दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की हड़ताल लगातार दूसरे दिन भी जारी है। इनकी मांग है कि 28 अगस्त को लाया गया सर्कुलर पूरी तरह से वापस लिया जाए। इस समय विश्वविद्यालय में परीक्षाएं चल रही हैं और शिक्षकों ने उसका भी बहिष्कार कर दिया है।
एचआरडी मंत्रालय ने शिक्षक संघ के पदाधिकारियों को बुलाया.
डीयू शिक्षक संघ ने जानकारी दी है कि संघ के पदाधिकारियों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बैठक के लिए गुरुवार शाम 4.30 बजे का समय दिया है। उन्हें उम्मीद है कि इस बैठक में उनकी बात सुनी जाएगी।
बुधवार को डीयू जेएनयू के शिक्षकों ने साथ किया था प्रदर्शन
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय कैंपस में बुधवार को शिक्षकों के प्रदर्शन और हड़ताल के कारण कक्षाएं बाधित रहीं। इस दौरान नॉर्थ कैंपस में तोड़फोड़ भी की गई।
दोनों केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षक हॉस्टल मैनुअल रोलबैक, कुलपति को पद से हटाने, कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने, एडहॉक शिक्षकों को नियमित करने, ईडब्ल्यूएस में शिक्षक भर्ती, प्रमोशन में एडहॉक अनुभव शामिल करने और एचआरडी से पूरे मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। डीयू शिक्षकों ने मांग पूरी नहीं होने पर सेमेस्टर परीक्षा की उत्तर पुस्तिका नहीं जांचने की भी चेतावनी दी है।
हॉस्टल मैनुअल रोलबैक को लेकर कैंपस में विद्यार्थी डेढ़ महीने से आंदोलन कर रहे हैं। इसी बीच विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रसंघ की बढ़ती दूरियों के चलते शिक्षक संघ भी छात्रों के समर्थन में आ खड़ा हुआ है।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. डीके लोबियाल के मुताबिक, कैंपस को शांत करने के उद्देश्य से मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ से मुलाकात की मांग रखी थी, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन कैंपस को शांत करने के बजाय छात्रों को सेमेस्टर परीक्षा में शामिल न होने पर दाखिला रद्द करने की चेतावनी दे रहा है।
प्रो. लोबियाल का कहना है कि यदि विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम है तो मंत्रालय को छात्रों की दिक्कत सुननी होगी। उनकी परेशानी समझे बिना फैसले नहीं थोपे जा सकते। शिक्षक संघ छात्रों के इस फैसले में समर्थन देता है।
सरकार से जवाब मांगे सांसद
जेएनयू शिक्षक संघ की ओर से सांसदों को पत्र लिखा गया है। इसके माध्यम से जेएनयू मामले पर संसद के दोनों सदनों में सरकार से जवाब मांगने की मांग रखी है। शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. डीके लोबियाल का कहना है कि कैंपस को इस तरह बर्बाद नहीं किया जा सकता। जेएनयू संसद एक्ट के तहत गठित है। इसलिए सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकती है। इससे पहले जनवरी 2019 में 48 सांसदों ने मंत्रालय को पत्र लिखकर कुलपति के कामकाज पर सवाल उठाए थे। इसलिए सांसदों से आग्रह किया है कि वे सरकार से इस मामले पर जवाब मांगे।
डीयू कुलपति कार्यालय में जबरदस्त प्रदर्शन
दिल्ली विश्वविद्यालय नॉर्थ कैंपस में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने बुधवार से कक्षाओं और परीक्षा पत्र जांचने का बहिष्कार आंदोलन शुरू कर दिया है। डूटा व एडहॉक शिक्षकों ने सुबह कुलपति कार्यालय का गेट तोड़कर ऑफिस में जबरन प्रवेश किया। इसके बाद काउंसिल हॉल में हंगामा व तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि डीयू कुलपति अपनी मनमर्जी से फैसले ले रहे हैं। एडहॉक शिक्षकों को नियमित करने के बजाय उन्हें निकाला जा रहा है। एडहॉक के बजाय अब गेस्ट फैकल्टी रखी जाएगी। हमारी मांग है कि कुलपति 28 अगस्त को जारी पत्र को वापस लें। उनकी मांग है कि एडहॉक को हटाने का फैसला वापस लिया जाए, नियमित शिक्षकों के प्रमोशन में एडहॉक का अनुभव शामिल हो, चार हजार से अधिक शिक्षकों के प्रमोशन को मंजूरी, ईडब्ल्यूएस वर्ग के तहत शिक्षकों की भर्ती करना आदि शामिल है।
परीक्षा को बाधित होने से बचाने को शिक्षक काम पर लौटे : डीयू प्रशासन
दिल्ली विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार की ओर से शिक्षकों से काम पर लौटने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की गई है। डीयू प्रशासन ने लिखा है कि परीक्षा को बाधित होने से बचाने के लिए शिक्षक काम पर लौंटे। इस मुद्दे पर शिक्षक एसोसिएशन, प्रिंसिपल एसोसिएशन और डीन ऑफ कालेज से बात की गई है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जल्द खाली पदों पर भर्ती की जाएगी।