मेरठ के परतापुर में दो दिन की बारिश के बाद सर्विस रोड पर पानी भरने और रास्ता बंद हो जाने के बाद किसानों का गुस्सा मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर फूट पड़ा। उन्होंने गांव सोलाना से मुरादाबाद के बीच क्रैश बैरियरों को उखाड़ फेंका है। वहीं, दीवार को तोड़कर साइन बोर्ड भी उखाड़कर ले गए। एक्सप्रेसवे अधिकारियों का कहना है कि सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना गलत है। बातचीत से ही समस्या दूर हो सकती है।
दरअसल, बारिश के बाद से एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ के खेतों में मिट्टी और पानी भर गया है। इससे खेतों में आवाजाही बंद हो गई है। किसानों का कहना है कि शुगर मिल में गन्ना ले जाने के लिए बनाई गई सर्विस रोड भी कई जगहों पर मिटटी खिसकने से बंद हो गई। गांव मुरादाबाद के पास किसानों ने क्रैश बैरियर तोड़कर ही रास्ता बना लिया। एक्सप्रेसवे की कई नालियां बरसात में मिट्टी के साथ बह गईं, जो एक्सप्रेसवे के दोनों ओर खेतों में पानी के साथ पहुंच गईं। इससे खड़ी फसल बर्बाद हो गई। किसानों का कहना है कि अब वे ट्रैक्टरों और बुग्गियों से मिल में गन्ना कैसे लेकर जाएं।
एक दिन पहले ही किसानों ने एक्सप्रेसवे की निर्माणाधीन कंपनी जीआर इंफ्रा प्रोजेक्टस लिमिटेड को चेतावनी दी थी कि यदि जल्द किसानों के लिए रास्ते का समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन करेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि टोल प्लाजा के पास लगाए गए सबमर्सिबल को जीआर इंफ्रा के कर्मचारी खोल कर चले जाते हैं, इससे भी पानी उनके खेतों में लगातार पहुंच रहा है। उनकी फसलें प्रभावित हो रही हैं।
इस मामले में जीआर इंफ्रा के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर मनोज बैरवा ने कहा कि वार्ता से ही समस्या का समाधान होता है। ऐसे नुकसान से खुद उन्हें भी दिक्कत होगी। यह सरकारी संपत्ति है। इसे नुकसान पहुंचाना गलत है।