उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश भवन पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि यहां वह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे। इसी के साथ ही यूपी में फेरबदल की अटकलें एक बार फिर तेज हो गई हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएम योगी के आगमन को लेकर गाजियाबाद की साहिबाबाद पुलिस अलर्ट पर रही। इसकी वजह ये थी कि पहले सीएम योगी दोपहर सवा दो बजे हिंडन पर उतरे और फिर यहां से उनका काफिला दिल्ली रवाना हुआ। वह आज रात यहीं गुजारेंगे। कहा तो ये भी जा रहा है कि शुक्रवार को वह प्रधानमंत्री से मुलाकात कर सकते हैं।
चर्चाएं हैं कि सीएम योगी की इन बैठकों में आगामी यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा होगी और रणनीति तैयार की जाएगी। साथ ही यूपी में संगठन और मंत्रिमंडल विस्तार पर बातचीत संभव है। वहीं एके शर्मा के भविष्य को लेकर भी कुछ तय हो सकता है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, छह महीने बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि योगी कैबिनेट में फेरबदल होगा और एमएलसी बने ए के शर्मा को कैबिनेट में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। हालांकि, भाजपा के पदाधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं लेकिन पार्टी पदाधिकारियों की बैठकें और भाजपा प्रभारी की राज्यपाल से मुलाकात को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं।
राधामोहन की राज्यपाल से मुलाकात की चर्चा ने यूपी में मंत्रिमंडल फेरबदल की अटकलों को हवा दे दी थी। राधामोहन ने शनिवार रात पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह व महामंत्री संगठन सुनील बंसल के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक उनके बीच जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव और राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से मिले दिशा-निर्देश पर चर्चा हुई।
बीएल संतोष के दौरे के बाद तेज हुईं चर्चाएं
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष तीन दिन के यूपी दौरे के बाद बीते बुधवार को दिल्ली लौट गए। इस दौरे में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर संगठन और सरकार के कई प्रमुख लोगों से एक साथ तथा अलग-अलग बातचीत की। कुछ मंत्रियों की सुनी और उनकी क्षमता व योजना दृष्टि की थाह नापी। बैठकों में कोरोना में ऑक्सीजन व बेड की कमी और इस कारण बड़ी संख्या में हुई मौतों को लेकर गैरों के साथ अपनों (भाजपा के लोगों) की मुखर हुई नाराजगी की नब्ज टटोली गई।
संतोष ने सरकार के प्रबंधन व तैयारियों के दावों की सच्चाई समझी, पंचायत चुनाव के भाजपा के पक्ष में अपेक्षित नतीजे न आने की वजहें जानने की कोशिश की। सरकार व संगठन की नब्ज पर हाथ रखकर बीमारियां समझीं और लौट गए। अब दिल्ली में ऑपरेशन यूपी 2022 का ब्लू प्रिंट तैयार होगा। इसमें पूरा जोर कोरोना महामारी से हुए नुकसान की भरपाई पर रहेगा।
इसके तहत मंत्रिमंडल में कुछ बदलाव के साथ विस्तार व अधिकारियों की चुनाव तक नए सिरे से तैनाती हो सकती है। इस ब्लू प्रिंट का प्रभाव प्रदेश में बदलाव के रूप में तो सामने जरूर आएगा, लेकिन इसके संगठन और सरकार के कुछ मंत्रियों की भूमिका बदलने तथा नौकरशाही के कुछ प्रमुख चेहरों की काट-छांट तक ही सीमित रहने के आसार हैं। इसका मुख्य आधार ‘पॉलिटिक्स ऑफ परफॉरमेंस’ व डैमेज कंट्रोल ही होगा। वहीं फिलहाल मुखिया परिवर्तन का संकेत कहीं नहीं है।
बीमारी समझने की कोशिश, मर्यादा में रहने का संदेश भी
लगभग दो दशक बाद पूर्ण बहुमत पाकर और वह भी 1991 से ज्यादा विधायकों के साथ प्रदेश की सत्ता में आई भाजपा का शीर्ष नेतृत्व तथा संघ किसी भी स्थिति में प्रदेश को खोना नहीं चाहता है। उसे पता है कि यूपी हारने का मतलब क्या होता है? संतोष के दौरे के एजेंडे से भी इसे समझा सकता है।