दिल्ली में किसानों की संसद

26 जनवरी को किसान रैली के दौरान हुई हिंसा के करीब 6 महीने बाद किसान एक बार फिर दिल्ली में दाखिल होने के लिए तैयार हैं. वे जंतर-मंतर पर “किसान संसद” का आयोजन करेंगे.किसानों को दिल्ली में इस शर्त के साथ प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है कि संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों की संख्या 200 से अधिक नहीं होगी और किसान मजदूर संघर्ष समिति के छह से अधिक लोग शामिल नहीं होंगे.

हर रोज सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक किसान प्रदर्शन करेंगे. पुलिस ने लिखित रूप से संगठनों से लिया है कि वे शांतिपूर्ण रहेंगे और कोरोना नियमों का पालन करेंगे. गुरुवार से लेकर 9 अगस्त तक किसान रोजाना जंतर-मंतर पर जुटेंगे और तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करेंगे. संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त तक चलेगा और किसानों को शर्तों के साथ प्रदर्शन की इजाजत मिली है.

शनिवार और रविवार को किसान विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे. दिल्ली में इस समय आपदा प्रबंधन कानून लागू है, जिसके चलते कहीं भी कोई जमावड़ा नहीं हो सकता. लेकिन किसानों के आंदोलन के लिए दिल्ली सरकार ने दिशा निर्देशों में संशोधन किया और इसकी इजाजत दी है. 26 जनवरी को हुई थी हिंसा पिछले साल नवंबर से किसान सिंघु, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, बीच में उनका आंदोलन थोड़ा धीमा तो जरूर हुआ था लेकिन संसद के सत्र चलने के साथ इसको गति मिली है. इसी साल 26 जनवरी को किसान रैली के दौरान हिंसा हुई थी और यह पहला मौका है जब किसानों को दिल्ली में दाखिल होकर प्रदर्शन की इजाजत मिली है.

दिल्ली की सीमाओं पर तैनात किसानों को जंतर-मंतर पर लाने के लिए पुलिस बस और एसयूवी गाड़ियों का इस्तेमाल करेगी. संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने इस प्रदर्शन का नाम “किसान संसद” दिया है. दिल्ली के जंतर-मंतर पर गुरुवार सुबह से ही भारी पुलिस की तैनाती की गई है. 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद और संसद सत्र के दौरान पुलिस कोई भी अप्रिय घटना होना नहीं देना चाहती. प्रदर्शन पर बैठने वाले किसानों की एक सूची भी पुलिस को सौंपी गई है. किसान संसद के जरिए प्रदर्शनकारी केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी समेत अन्य मांगों के समर्थन में अपनी आवाज उठाएंगे. आठ महीने से जारी आंदोलन अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट दी है कि अमेरिका ने भारत में रह रहे अपने नागरिकों को प्रदर्शन को देखते हुए अलर्ट जारी किया है. सुरक्षा चेतावनी में कहा गया है कि वे भीड़भाड़ वाले इलाके, महत्वपूर्ण स्थलों और प्रदर्शन वाली जगहों से दूरी बनाए रखें.

अमेरिकी दूतावास ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, “अमेरिकी दूतावास 21 और 22 जुलाई को किसानों और उनके विरोधियों द्वारा दिल्ली और उसके आसपास संभावित प्रदर्शनों की मीडिया रिपोर्टों से अवगत है. पहले इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में कभी कभार हिंसा हुई थी.” सरकार और किसानों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कृषि कानूनों के मुद्दे पर अभी भी गतिरोध बना हुआ है. संयुक्त किसान मोर्चा 40 से अधिक किसान संघों का एक मोर्चा है. किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उसे निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार का कहना है कि तीन नए कृषि कानून किसानों की भलाई के लिए लाए गए हैं और यह लंबे समय में उन्हें फायदा पहुंचाएंगे.

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