दलाई लामा के प्रतिनिधि और सिविल सोसाइटी के लोगों से मिले अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन, चीन पर भी हुई चर्चा

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान बुधवार को सार्वजनिक कार्यक्रम में नागरिक संस्थाओं के सदस्यों के साथ हुई एक अहम बैठक में कई मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई। इस राउंड टेबल मीटिंग में नागरिकता संशोधन कानून की गंभीरता, अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात, चीन की बढ़ती आक्रमकता जैसे कई अहम मुद्दों के अलावा मौलिक स्वतंत्रता, किसान आंदोलन जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि सभी लोगों को अपनी सरकार में राय देने का हक है और चाहे वे जो भी हों, उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाना चाहिए। साथ ही, उन्होंने कहा कि भारतीय और अमेरिकी मानवीय गरिमा, धार्मिक स्वतंत्रता सहित मौलिक स्वतंत्रताओं में यकीन रखते हैं।

यहां पहुंचने के बाद और भारतीय नेतृत्व के साथ बैठकों से पहले अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में नागरिक संस्थाओं के सदस्यों को संबोधित करते हुए, ब्लिंकन ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता को साझा करते हैं और कहा कि यह प्रतिबद्धता द्विपक्षीय संबंधों के आधार का एक हिस्सा है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि सफल लोकतांत्रिक देशों में ”जीवंत” नागरिक संस्थाएं शामिल होती हैं और लोकतंत्र को, “अधिक खुला और ज्यादा लचीला बनाने के लिए उनकी जरुरत पड़ेगी।

कार्यक्रम के एक प्रतिभागी के मुताबिक, किसानों का प्रदर्शन, प्रेस की स्वतंत्रता, संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए), अल्पसंख्यकों के अधिकार और चीन की आक्रमकता को लेकर चिंताएं तथा अफगानिस्तान की स्थिति उन मुद्दे में शामिल थे जो इस बैठक में उठाए गए। इसमें तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के एक प्रतिनिधि सहित नागरिक समाज के सात सदस्य शामिल हुए। प्रतिभागी ने बताया कि बातचीत के दौरान हर सदस्य ने भारत और क्षेत्र में चिंता के गंभीर मुद्दों पर संक्षिप्त रूप से अपनी बात रखी। ब्लिंकन ने दलाई लामा के प्रतिनिधि से मिल चीन को भी संदेश दिया है कि तिब्बत को लेकर उसके रुख से अमेरिका इत्तेफाक नहीं रखता है। ये कहा भी जा रहा है कि इस ‘सिविल सोसायटी राउंड टेबल चर्चा,को लेकर चीन इस पर अपना विरोध जता सकता है।

ब्लिंकन ने अपनी टिप्पणी में लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्रता को बढ़ते वैश्विक खतरों का हवाला देते हुए “लोकतांत्रिक मंदी” के बारे में बात की और जिक्र किया कि भारत और अमेरिका के लिए इन आदर्शों के समर्थन में साथ खड़ा रहना जरूरी है। उन्होंने कहा, “जब आप सभी चीजों को एक साथ रखते हैं, तो हमारे देशों के बीच संबंध दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक हैं..और मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि जब हमारी सरकारें आपस में काम कर रही होती हैं तो यह न केवल सरकारों के बीच का संबंध होता है, बल्कि मुख्य रूप से यह भारतीय और अमेरिकी लोगों के बीच संबंधों के माध्यम से होता है।”

उन्होंने कहा, “हमारे लोकतंत्र विकास कर रहे हैं और मित्रों के तौर पर हम इस बारे में बात करते हैं क्योंकि लोकतंत्र को मजबूत करने और हमारे आदर्शों को वास्तविक बनाने का कठिन कार्य अकसर चुनौतीपूर्ण होता है।” ब्लिंकन ने कारोबारी सहयोग, शैक्षणिक कार्यक्रम, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संबंधों तथा लाखों परिवारों के बीच संबंधों को समूचे संबंध का प्रमुख स्तंभ बताया।उनके संबोधन का मजमून अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने जारी किया है। जिसके मुताबिक ब्लिंकन ने कहा, “हम जानते हैं कि अमेरिका में, अपने संस्थापकों के शब्दों में, एक अधिक परिपूर्ण संघ बनने की आकांक्षा रखते हैं। हमारा देश पहले दिन से स्वीकार करता रहा है कि एक अर्थ में हम हमेशा अपने लक्ष्य से कम होंगे, लेकिन प्रगति करने का तरीका यह है कि उन आदर्शों को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करना होगा।”उन्होंने कहा कि कई बार यह प्रक्रिया, “दर्द भरी होती है, कई बार कुरूप” लेकिन लोकतंत्र की ताकत को इसे अपनाना है। उन्होंने कहा, “इस समय, हम अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं। यहां भारत में, जिसमें मुक्त मीडिया, स्वतंत्र अदालतें, एक जीवंत और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रणाली शामिल है – जो दुनिया में कहीं भी नागरिकों द्वारा स्वतंत्र राजनीतिक इच्छा की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति है।”बाद में ब्लिंकन ने एक ट्वीट भी किया और लिखा कि “नागरिक संस्थाओं के नेताओं से आज मुलाकात करने की प्रसन्नता है। भारत और अमेरिका लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्धता साझा करते हैं, यह हमारे संबंधों के आधार का हिस्सा है और भारत के बहुलवादी समाज और सद्भाव के इतिहास को दर्शाता है। नागरिक संस्थाएं इन मूल्यों को आगे बढ़ाने में मदद करती हैं।”

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