दगा दे रहा बिहार में मौसम का बदलता रंग, गेहूं उत्पादक किसानों की बढ़ गई परेशानी

फरवरी में अप्रैल जैसी गर्मी ने एक बार फिर गेहूं उत्पादक किसानों को परेशान कर दिया है। बीच के एक सप्ताह को छोड़ दें तो गेहूं के लिए इस साल मौसम बहुत अच्छा रहा। लेकिन जब फलने का समय आया तो मौसम ने दगा दे दिया। अभी अधिकतम तापमान 20 डिग्री से नीचे रहना चाहिए जो बढ़कर 30 डिग्री तक पहुंच गया है। 

राज्य में मौसम के हर महीने बदलते रंग ने साबित कर दिया कि सरकार की ‘मौसम अनुकूल खेती योजना’ को ही किसानों को अपनाना पड़ेगा। इस योजना के तहत राज्य में जहां भी खेती हुई वहां की गेहूं फसल अच्छी है और अब पकने लगी है। लिहाजा फरवरी में बढ़ी गर्मी भी उस फसल को नुकसान नहीं कर पाएगी। उन खेतों में गेहूं की बुआई नम्बर के पहले सप्ताह में ही हो गई थी। लेकिन परम्परागत कृषि अपनाने वाले किसानों ने दिसम्बर तक बुआई की है। लिहाजा उनकी फसलों को यह गर्मी परेशान करेगी। उत्पादन गिर सकता है। हालांकि दस दिन और ठंड रह जाती तो ये किसान भी बाग-बाग हो जाते। वैज्ञानिकों का मानना है कि किस इलाके में कितना तापमान है नुकसान उसी अनुपात में होगा। 30 डिग्री से अधिक तापमान पर नुकसान 25 प्रतिशत तक हो सकता है। इसके अलावा दूसरी रबी फसलों को लाही भी परेशान कर सकती है।

गेहूं के उत्पादन के लिए ठंड गिरना बहुत जरूरी होता है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि गेहूं जाड़े की फसल है। पहले गेहूं की फसल फोटो सेंसिटिव होती थी। अब नई वेरायटी तापमान सेंसिटिव होती हैं। पुरानी वेरायटी पर तापमान का उतना असर नहीं पड़ता था और दिन की लंबाई के साथ उसमें फूल लगते थे। इस बार तापमान में बहुत उतार-चढ़ाव दिखा। पहले रबी के अनुकूल मौसम था। बीज में एक सप्ताह तापमान चढ़ा, लेकिन फिर गिर गया तो किसान खुश हो गये। लेकिन अब तो फलन का समय है। लिहाजा अगात फसल को परेशानी नहीं होगी, लेकिन जो देर से बुआई किये हैं उन्हें तो परेशानी होगी।   
 
गेहूं की फसल के लिए जरूरी तापमान

8 डिग्री सेल्सियस से नीचे होना चाहिए न्यूनतम तापमान
20 डिग्री सेल्सियस से नीचे होना चहिए अधिकतम तापमान  
32 डिग्री सेल्सियस है अभी अधिकतम तापमान

गेहूं की खेती एक नजर में 
22 लाख हेक्टेयर में होती है गेहूं की खेती
40 लाख टन होता गेहूं का उत्पादन 

रबी की फसल के लिए मौसम बहुत अच्छा था। लेकिन अभी की गर्मी काफी परेशान करेगी। देर से बुआई पाली फसल को 25 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। हालांकि जहां फल लग गया है, वहां नुकसान थोड़ा कम होगा।

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