देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिकतम कोविड टीकाकरण के दावे को लेकर त्रिपुरा सरकार को उस समय फजीहत का सामना करना पड़ा जब उच्च न्यायालय ने सरकार के आंकड़ों में हेरफेर बताते हुए उसका इसे खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति अरिंदम लोध की पीठ ने त्रिपुरा में कोविड की मौजूदा स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि टीकाकरण के मामले में त्रिपुरा देश में शीर्ष पर है।
पीठ ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, ‘न्यायालय ने शुरुआत से सार्वजनिक सूचना की विश्वसनीयता पर जोर दिया है, क्योंकि हमारा मानना है कि ऐसे दावे तभी सही होंगे जब राज्य की मशीनरी द्वारा उपलब्ध कराया गया आंकड़ा पारदर्शितापूर्ण और सटीक होगा तथा लोगों का इस पर विश्वास होगा। एक जिम्मेदार अधिकारी ने गलत जानकारी दी है तो हमें उम्मीद है कि अब वह प्रेस को संशोधित जानकारी उपलब्ध कराएंगे।’
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव सरकार ने सभी पात्र आयु समूहों की 80 प्रतिशत आबादी को कोविड का डोज दिए जाने का दावा कर देश भर में वाहवाही बटोरी थी। जबकि 45 वर्ष से अधिक के मामले में यह आंकड़ा 98 प्रतिशत था।
कोर्ट के आदेश पर एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने पहचान न जाहिर करने की शर्त पर कहा, ‘हमने हमारे आंकड़ों की जांच की है और अभी भी 98 प्रतिशत टीकाकरण वाले दावे पर हम अडिग हैं। हमारे दफ्तर और कोर्ट के बीच संभवतः सूचना के आदान-प्रदान में कोई गड़बड़ी हुई होगी। हम जल्द से जल्द कोर्ट में हलफनामा दायर करेंगे।’