तीन तलाक के बाद सदियों से चली आ रही इस परम्परा को मोदी ने किया खत्म, फैसले से ओवैसी भी हैरान

नई दिल्ली: सदियों से चली आ रही तीन तलाक की परम्परा मुस्लिम महिलाओं के लिए किसी सजा से कम नहीं थी। कोई भी पुरुष तीन बार तलाक-तलाक कहकर अपनी पत्नी को बेसहारा छोड़ देता था। मोदी सरकार ने लम्बी लड़ाई के बाद आखिरकार इस कुरीति को ख़त्म ही कर दिया। इसके लिए पहले कोर्ट में लड़ाई लड़ी गयी फिर इसके लिए लोकसभा में बिल पास करवाया गया। राज्यसभा में बिल पास हो जानें के बाद इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा। मोदी सरकार के इस फैसले से मुस्लिम समुदाय की महिलाएँ काफी खुश दिखाई दे रही हैं।

 

महिलाएँ ख़ुशी से एक-दुसरे को मिठाइयाँ खिला रही हैं। कहीं-कहीं मुस्लिम महिलाएँ पीएम मोदी के तस्वीर पर दूध चढ़ाकर उनकी पूजा भी कर रही हैं। मोदी सरकार अपने मन की बात में मुस्लिम महिलाओं को एक और आजादी देने का ऐलान किया है। रविवार को पीएम मोदी ने साल के आखिरी दिन अपने मन की बात की। उन्होंने मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के लिए हज़ यात्रा को लेकर उनके हक़ में आवाज उठाई। अब से पहले महिलाओं को बिना पुरुष अभिवावक के हज़ यात्रा पर जानें की अनुमति नहीं थी। लेकिन पीएम मोदी ने इस परम्परा को भेदभाव बताते हुए इसे ख़त्म कर दिया।

आपको बता दें नई हज़ नीति के अनुसार कोई भी 45 साल की उम्र को पार कर चुकी महिला चार या उससे अधिक की संख्या में बिना महरम के भी एक साथ हज़ यात्रा पर जा सकती हैं। मुस्लिम समुदाय में महरम यानी जिससे महिला का निकाह नहीं हो सकता है। पिता, सगा भाई, बेटा, पौत्र, नवासा आदि महरम में आते हैं। अब से पहले महिलाओं को हज़ यात्रा पर जानें के लिए महरम की जरुरत होती थी। की उलेमा हज़ पर महिला के अकेले जानें को शरियत के खिलाफ मानते हैं।

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