अफगानिस्तान में हिंसा और क्रूरता के दम पर तालिबान ने अब तक बड़ी तबाही मचाई है। अफगानिस्तान के कई हिस्सों पर अब तालिबान का कब्जा है। अफगानिस्तान के कई शीर्ष नेता यह साफ कह चुके हैं कि तालिबान की जीत से पाकिस्तान काफी खुश है और वो तालिबानियों को मदद भी कर रहा है। तालिबान के जरिए अफगानिस्तान में आग लगाकर पाकिस्तान भले ही अभी जश्न मना रहा हो लेकिन इस आग में पाकिस्तान के चलने का खतरा भी बहुत ही ज्यादा है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि अगर पाकिस्तान के पड़ोसी और युद्ध ग्रस्त अफगान में विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया तब उग्रवाद को बढ़ावा देने को लेकर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर बिल्कुल अकेला पड़ सकता है।
पाकिस्तान में बसे कट्टरपंथी बरसों से तालिबान को सपोर्ट करते आए हैं। अब यह कट्टरपंथी इस कल्पना में जी रहे हैं कि उनके तालिबानी संबंध काबुल में सुरक्षित रहेंगे। अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और शांति व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। अगर भविष्य में इस आतंकवादी संगठन पर पाकिस्तान किसी भी तरह का दबाव बनाता है तो तालिबान आसानी से पाकिस्तान के अंदरुनी इलाकों पर हमला कर सकता है और इससे आर्थिक रूप से टूट चुके पाकिस्तान में युद्ध छिड़ने के भी आसार बन सकते हैं।
मशहूर पत्रकार हुसैन हक्कानी का मानना है कि पाकिस्तान के कई आलोचकों ने भविष्य में पाकिस्तान के अंदर ऐसा परिदृश्य उभरने की चेतावनी दी है। लेकिन पाकिस्तानी मिलिट्री तालिबान को अपना अहम सहयोगी मानता है और उसे ऐसा लगता है कि भारत से मुकाबला करने में तालिबान उसका अहम मददगार साबित हो सकता है। अफगान के उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने भी कहा ता कि तालिबान की जीत को से पाकिस्तान काफी उत्सुक है। उप राष्ट्रपति ने तालिबान की मदद करने को लेकर पाकिस्तान की आलोचना भी की है और पाकिस्तानी अधिकारियों को झूठा भी कहा है।
इसके अलावा अभी हाल ही में तहरीक-ए-तालिबान अफगानिस्तान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने दो टूक कहा था कि पाकिस्तान, तालिबान पर तानाशाही नहीं चला सकता और न ही अपने विचारों को थोप सकता है। शाहीन ने भारत से इस मामले में निष्पक्ष रहने की अपेक्षा जताई है। सुहैल के इस बयान से अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के निकलने के बाद तालिबान के साथ मिलकर अपनी मनमानी करने का ख्वाब देख रहे पाकिस्तान को करारा झटका लगा है।
आपको बता दें कि हाल ही में अमेरिका के ज्वाइंट चीफ्ट ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान के नियंत्रण की लड़ाई में ”रणनीतिक गति हासिल करता दिख रहा है। मिले ने पेंटागन में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ” यह अफगानिस्तान की सुरक्षा, अफगानिस्तान सरकार और अफगानिस्तान के लोगों की इच्छाशक्ति एवं नेतृत्व की परीक्षा होगी।
मिले ने कहा कि अफगानिस्तान के 419 जिला केंद्रों में से अब आधे केंद्रों पर तालिबान का कब्जा है और उसने अभी तक देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से किसी पर कब्जा नहीं किया है, लेकिन वह उनमें से लगभग आधी राजधानियों पर दबाव बना रहा है। उन्होंने कहा कि तालिबान अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर रहा है और इस बीच अफगान सुरक्षा बल काबुल सहित प्रमुख जनसंख्या केंद्रों की सुरक्षा के लिए अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं।