अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे को लेकर पाकिस्तानी मीडिया में भी खूब चर्चा हो रही है. डोनाल्ड ट्रंप ने अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को नसीहत दी और कहा कि अमेरिका-भारत इस्लामिक कट्टरपंथ के शिकार रहे हैं. आइए जानते हैं कि ट्रंप के इस दौरे को लेकर पाकिस्तानी मीडिया से क्या प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने इस शीर्षक से हेडलाइन लगाई- ‘भारत में रैली में बोले ट्रंप- अमेरिका के पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध, तनाव घटने की उम्मीद’. अखबार ने लिखा कि ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को मधुर बताया है और कहा कि दक्षिण एशिया के सभी देशों में शांति और स्थिरता स्थापित हो
डॉन अखबार के ही एक संपादकीय में भारत-अमेरिका संबंध पर संदेह जताया गया है. इस संपादकीय लेख का शीर्षक ‘अमेरिका फर्स्ट बनाम मेक इन इंडिया’ है. लेख में कहा गया है कि अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंध पहले से ही समस्याग्रस्त रहे हैं लेकिन ट्रंप के ‘अमेरिका फर्स्ट’ और मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ के दौर में और खराब हो गए हैं.
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने शीर्षक दिया- भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव घटने की उम्मीद: ट्रंप. इस आर्टिकल में भी ट्रंप के अमेरिका-पाकिस्तान के मधुर संबंध वाले बयान पर जोर दिया गया.
पाकिस्तानी अखबार जियो न्यूज ने लिखा, ‘ट्रंप ने भारी भीड़ के सामने कहा, अमेरिका के पाकिस्तान से बहुत अच्छे संबंध’. जियो न्यूज ने लिखा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि अमेरिका के पाकिस्तान से बहुत अच्छे संबंध हैं और वॉशिंगटन, इस्लामाबाद के साथ बहुत सकारात्मक तरीके से काम कर रहा है.
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने एक संपादकीय लेख में डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी को एक जैसा बताया है. अखबार ने लिखा है कि दोनों नेता अपनी दक्षिणपंथी लोकप्रियता और विचारधारा के दम पर सत्ता में आए हैं और दोनों ने ही बहुसंख्यकवाद के एजेंडे को अल्पसंख्यकों की कीमत पर आगे बढ़ाया है.
अखबार ने लिखा है कि राजनेता के तौर पर पीएम मोदी ने लंबा रास्ता तय कर लिया है क्योंकि 2005 में मुस्लिम विरोधी दंगों की वजह से उन्हें अमेरिका में प्रतिबंधित कर दिया गया था और आज अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप उन्हें बेहद सफल नेता बता रहे हैं.
संपादकीय में कहा गया है कि ट्रंप ने अपनी स्पीच में पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंधों का जिक्र किया लेकिन अगर वे असलियत में दक्षिण एशिया में स्थिरता देखना चाहते हैं तो वह अपने भारतीय दोस्तों को बताएं कि पाकिस्तान के संबंध में वे अपना शत्रुतापूर्ण रवैया छोड़ें.
इसके अलावा, अमेरिकी नेता को पीएम मोदी को यह संदेश देना चाहिए कि कश्मीर की स्थिति अस्वीकार्य है और दक्षिण एशिया में शांति तब तक संभव नहीं है जब तक इस मुद्दे का समाधान ना हो जाए.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुजरात के अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम से ना केवल भारत-अमेरिका की दोस्ती की दास्तां दोहराई बल्कि पाकिस्तान को भी इशारों-इशारों में नसीहत दे डाली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के बाद जब ट्रंप ने भाषण में इस्लामिक कट्टरपंथ और पाकिस्तान का जिक्र किया तो स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.
नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, भारत और अमेरिका आतंकवाद और आतंक की विचारधारा से लड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. इसी वजह से, मेरे सत्ता में आने के बाद से अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकी संगठनों पर शिकंजा कसने की दिशा में सकारात्मक तरीके से काम कर रहा है. ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तानी सीमा पर ऑपरेट कर रहे आतंकियों के खिलाफ भी हम काम कर रहे हैं. ट्रंप के इस बयान के बाद स्टेडियम में खूब तालियां बजीं.
ट्रंप ने कहा, दोनों देश इस्लामिक आतंकवाद का शिकार रहे हैं. भारत और अमेरिका दोनों ही अपने नागरिकों को इस्लामिक कट्टरपंथ से बचा रहे हैं. भारत और अमेरिका ने इस्लामिक कट्टरपंथ के खतरे से लड़ने का संकल्प लिया है. जैसे-जैसे हमारा रक्षा सहयोग मजबूत होगा, अमेरिका भारत को धरती के सर्वश्रेष्ठ और सबसे खतरनाक सैन्य हथियार उपलब्ध कराएगा. हम दुनिया भर में सबसे खतरनाक हथियार बनाते हैं और अब हम भारत के साथ डील करने जा रहे हैं.