केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया कंपैन की छठी वर्षगांठ पहली जुलाई को मनाई। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कंपैन से सीधा फायदा लेने वाले लाभार्थियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए रुबरु हुए। इस दौरान ई-संजीवनी एप के जरिए चिकित्सकीय परामर्श देने वाले केजीएमयू के डॉक्टर और बिहार के मरीज ने भी पीएम से अपना अनुभव साझा किया।
ई-संजीवनी एप ने लाए नए बदलाव
यूपी में केंद्र सरकार द्वारा बनाएं गए ई-संजीवनी एप का नोडल सेंटर केजीएमयू है। यहां हर विभाग के डॉक्टरों की बारी-बारी से ड्यूटी लगती है। ऐसे में मरीज ऑनलाइन पर्चा, रिपोर्ट भेजकर डॉक्टर से घर बैठे परामर्श ले सकता है। यही नहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी डॉक्टर मरीज से जुडते हैं। कोरोना कॉल में ओपीडी बंद होने पर ई-संजीवनी एप काफी लोकप्रिय हुआ है। इसकी नोडल प्रभारी डॉ. शीतल वर्मा ने प्रदेश की कई पीएचसी को भी ई-संजीवनी से जोड़ दिया है।
इससे पीएचसी पर आने वाले मरीजों के लिए मेडिकल अफसर सीधे केजीएमयू के विशेषज्ञों से जुडकर सलाह ले लेते हैं। ऐसे में मरीजों को बेवजह रेफर करने का झंझट नहीं रहता है। केजीएमयू में अब तक लाखों मरीजों का इस तकनीक से उपचार किया गया है।
केजीएमयू के डॉ भूपेंद्र व बिहार के शुभम से की बात
गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ई-संजीवनी एप पर मरीज देख रहे मानसिक रोग विभाग के चिकित्सक डॉ. भूपेंद्र सिंह से बात की और उनसे एप की खूबियों के बारे में जाना। पीएम मोदी ने ई-संजीवनी एप के जरिए अपनी दादी का इलाज करा रहे बिहार के निवासी शुभम से भी बात की।
शुभम ने पीएम मोदी से कहा “दादी मां को लखनऊ तक ले जाना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी, जिसे ई-संजीवनी डिजिटल ओपीडी ने एक पल में हल कर दिया। अब बुजुर्ग दादी मां को अस्पताल ले जाने की झंझट से छुटकारा मिला।”
नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन पर चल रहा काम
प्रधानमंत्री ने डॉ. भूपेंद्र को डॉक्टर्स डे की शुभकामनाएं दी। साथ ही उन्हें बताया कि डिजिटल सेवा ने कोरोना काल में अपनी उपयोगिता साबित की है। इससे सुगम और समय पर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध हो सकती हैं। ऐसे में नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन पर काम चल रहा है।