वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में रूसी दखल का मामला उनका पीछा नहीं छोड़ रहा है। इस मामले की जांच करने वाले विशेष वकील रॉबर्ट मुलर की रिपोर्ट आने के बाद से ही विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद राष्ट्रपति ट्रंप पर महाभियोग चलाने की मांग कर रहे हैं।
अब अमेरिकी संसद के निचले सदन की न्यायिक समिति भी ट्रंप पर महाभियोग चलाने के रास्ते तलाशने में जुट गई है। न्यायिक समिति ने जस्टिस बेरिल ए हॉवेल से विशेष वकील मुलर की रिपोर्ट से जुड़ी सभी जानकारियां उजागर करने को कहा है। जस्टिस हॉवेल, मुलर की जांच रिपोर्ट से संबंधित ग्रांड जूरी की अध्यक्षता कर रहे हैं।
दरअसल, ट्रंप पर महाभियोग चलाया जाए या नहीं, इसको लेकर समिति ने छानबीन शुरू कर दी है। समिति का कहना है कि रिपोर्ट के माध्यम से ही यह तय हो पाएगा कि संविधान के किन प्रावधानों के आधार पर ट्रंप पर महाभियोग की कार्रवाई की जा सकती है।
शुक्रवार को समिति ने कहा कि न्याय नीति विभाग के पास मौजूदा राष्ट्रपति के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश देने का अधिकार नहीं है। केवल संसद के निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में ही ट्रंप को उनके क्रियाकलापों के लिए दोषी ठहराया जा सकता है। ऐसा करने के लिए समिति को उन सभी साक्ष्यों तक पहुंचने की जरूरत है, जो रॉबर्ट मुलर ने जुटाए हैं।
डेमोक्रेट्स को है रिपोर्ट उजागर होने की उम्मीदविपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसदों को उम्मीद है कि न्यायिक समिति की मांग से जस्टिस हॉवेल सहमत होंगे। उनका भरोसा है कि जिस तरह 1974 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के वाटरगेट कांड से संबंधित रिपोर्ट की जानकारी कमेटी को दी गई थी। इसी आधार पर इस मामले में भी मुलर की रिपोर्ट कमेटी को सौंपी जाएगी।