अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में 7 मुस्लिम देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले को लगातार कोर्ट में चुनौती दी गई और फेडरल कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी। इसके बाद अमेरिकी सरकार दूसरा यात्रा प्रतिबंध लेकर आई, जिसपर 6 मार्च को हस्ताक्षर कर दिए गए।
इस फैसले के विरोध में हवाई कोर्ट जाने वाला पहला राज्य बन गया है। इस केस को राज्य के अटॉर्नी जनरल और हवाई मुस्लिम संघ के इमाम ने दायर किया है। इस शिकायत में ट्रंप के आदेशों को गैरकानूनी और मुस्लिम विराधी करार दिया है। शिकायत में कहा गया है कि यह प्रतिबंध भी पहले जारी किए गए प्रतिबंध के समान है। इसे हवाई के मुसलमानों का विरोधी और उन्हें दोयम दर्जे की नागरिकता देने वाले बताया गया है।
अमेरिकी संविधान तथा प्रवासी और नागरिक कानून का हवाला देते हुए कहा गया कि कई मुस्लिम बहुल देशों को अमेरिका में घुसने से रोका जा रहा है। इसके अलावा उन्हें ग्रीन कार्ड और स्थाई नागरिकता भी नहीं दी जा रही। ट्रंप के दूसरे यात्रा प्रतिबंध को कोर्ट में आसानी से बचाया जा सकता है। हालांकि, हवाई के वकीलों ने कहा है कि इसपर भी पहले जैसे ही खतरे मंडरा रहे हैं। गौरतलब है कि हवाई की 20% कामकाजी जनता विदेशी है, जिसमें मालिक समेत कर्मचारी भी शामिल हैं। इस प्रतिबंध का बुरा असर हवाई के पर्यटन और शिक्षा पर भी पड़ेगा।