ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति कैस सैयद ने सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद संसद के निलंबत कर दिया है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री हिचेम मेचिची को बर्खास्त करने की घोषणा की है, जिन्होंने इस कदम की निंदा “तख्तापलट” बताया है।
एक ओर जहां विरोधियों द्वारा इसे ट्यूनीशिया के लोकतंत्र पर हमला बताया जा रहा है वहीं, हजारों लोगों ने इस कदम की सराहना की और सड़कों पर उतरकर जश्न मनाया। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी से निपटने और अर्थव्यवस्था का ठीक तरीके से संचालन नहीं करने में सरकार की विफलता को लेकर कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए। मार्च के दौरान अधिकांश गुस्सा एन्नाहदा पार्टी पर केंद्रित था, जो संसद में सबसे बड़ी पार्टी है। कैस ने संसद को भी भंग करते हुए जोर दिया कि उनका कदम संविधान के दायरे में है। सैयद द्वारा अपने आवास में एक आपात बैठक के बाद संसद के निलंबन की घोषणा से खलबली मच गई।
‘गोली का जवाब गोली से
राष्ट्रपति कैस सैयद ने रविवार को कहा कि वह एक नए प्रधानमंत्री की सहायता से कार्यकारी अधिकार ग्रहण करेंगे। ये 2014 में बनाए गए संविधान के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती है, जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संसद के बीच शक्तियों का बंटवारा करता है। सरकारी मीडिया को दिए एक बयान में राष्ट्रपति ने कहा कि पाखंड, विश्वासघात और लोगों के अधिकारों की लूट से कई लोगों को धोखा दिया गया। मैं उन सभी लोगों को चेतावनी देता हूं, जो हथियार उठाने की योजना बना रहे हैं। जो कोई भी गोली चलाएगा, सशस्त्र बल भी फिर उसे गोलियों से ही जवाब देंगे।
राष्ट्रपति ने पहले ही दी थी धमकी
राष्ट्रपति ने पहले ही संसद को भंग करने और प्रधानमंत्री को बर्खास्त करने की धमकी दी थी। पिछले सितंबर से ही ट्यूनीशिया में राजनीतिक संकट जारी है. वहीं, रविवार को राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए कदम के बाद प्रदर्शनकारियों में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रदर्शनकारियों ने सामाजिक और आर्थिक सुधारों का भी आह्वान किया है। ट्यूनीशिया में आर्थिक संकट जारी है, ऊपर से कोरोना से स्वास्थ्य संकट भी खड़ा कर दिया है। ट्यूनीशिया में कोरोना वायरस की वजह से अब तक 18 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।