जौनपुर जेल में बवाल: बंदियों ने पहले भी कई मौकों पर किया है उपद्रव, जानें, कब-कब भड़की विद्रोह की चिंगारी

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिला जेल में शुक्रवार को एक कैदी की मौत के बाद हुआ भारी बवाल अचानक नहीं हुआ है। जेल की व्यवस्था से असंतुष्ट बंदियों में महीनों से गुस्सा था। इसी साल जनवरी में भी उन्होंने जेल की व्यवस्था से नाराज होकर हंगामा किया था। जेल अफसरों के हस्तक्षेप से मामला जैसे-तैसे शांत हुआ था। तब कुछ बंदियों की जेल बदलकर जेल प्रशासन यह मान चुका था कि अब सब कुछ उनके नियंत्रण में है, लेकिन बंदियों में विद्रोह की चिंगारी बरकरार थी और मौका मिलते ही वह धधक उठी।

जेल के अंदर पिछले छह साल में तीन बार ऐसे मौके आए, जब बंदियों ने जेल प्रशासन के खिलाफ बगावत कर दी। हर बार उन्हें शांत कराने में पुलिस-प्रशासन के अफसरों को नाकों चने चबाने पड़े हैं। इसके पहले वर्ष 2015 में भी जेल में ऐसे ही उपद्रव हुआ था। तब महिला बंदी रक्षक से छेड़खानी के बाद बंदी रक्षकों की पिटाई से एक बंदी की मौत हो गई थी। तब उग्र बंदियों ने साढ़े पांच घंटे तक जेल को अपने कब्जे में रखा था। फोर्स को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।  
2015: पिटाई से गई थी बंदी की जान 
पांच जुलाई 2015: महिला बंदी रक्षक से छेड़खानी को लेकर उपजे विवाद में पिटाई से लखौवां निवासी बंदी श्याम यादव मौत हो गई थी। इसके बाद उग्र हुए बंदियों ने बंदी रक्षकों की लाठी छीनकर उनकी पिटाई कर दी थी। पिटाई और पथराव में छह बंदी रक्षक घायल हुए थे। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को पानी की बौछार, आंसू गैस के गोले, 50 राउंड रबर बुलेट दागने पड़े थे। शाम साढ़े 4 बजे से शुरू हुआ हंगामा रात 10 बजे तक चला था।

2017: हाथ-पैर धोने को लेकर बंदियों में विवाद

आठ दिसंबर 2017: जिला जेल में बैरक नंबर एक के पास पानी पीने और हाथ-पैर धोने को लेकर बंदियों में विवाद शुरू हुआ था, जो मारपीट और पथराव में तब्दील हो गया। बंदी रक्षकों ने बंदियों को काबू में करने की कोशिश की लेकिन मामला बढ़ता गया। बंदी जेल में निर्माण के लिए रखी ईंट एक दूसरे पर फेंकने लगे।

बंदी रक्षक वहां से किसी तरह जान बचाकर भागे। इसमें कई बंदी चोटिल हुए। हत्या के आरोप में बंद सिंगरामऊ निवासी अमित दुबे को सिर में चोट आई। काफी मशक्कत के बाद बंदियों को शांत कराया जा सका।
जनवरी 2021: बंदी रक्षकों पर मुलाकातियों से वसूली करने का आरोप
चार जनवरी 2021: बंदी रक्षकों पर मुलाकातियों से वसूली करने का आरोप लगाते हुए दोपहर में बंदी उग्र होकर बैरकों से बाहर आ गए। उन्होंने एक बदहाल शौचालय की ईंटें लेकर चलाने लगे। समझाने गए मुख्य बंदी रक्षक को दौड़ा लिया। जेल अधीक्षक ने तुरंत पगली घंटी बजवाने के साथ ही एसपी को सूचना दी। भारी फोर्स जेल में पहुंच गई। जेल अफसरों के काफी देर तक समझाने-बुझाने पर बंदियों का गुस्स शांत हुआ गया। करीब तीन घंटे बाद बंदी बैरकों में लौटे।
ड्रोन कैमरे में दिखी भयावह तस्वीर
शुक्रवार को बैरकों से बाहर आए बंदियों ने पूरे जेल पर कब्जा जमाने के बाद प्रवेश के रास्ते बंद कर दिए। अंदर की गतिविधि की जानकारी के लिए पुलिस ने ड्रोन कैमरे की मदद ली। कैमरे से जब अंदर की स्थिति दिखी तो अफसर भी सन्न रह गए। बंदियों ने गैस सिलिंडर को भी अपने कब्जे में ले लिया था। उसमें आग लगाने की आशंका से सुरक्षाकर्मी सकते में आ गए।

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