एमजीएम मेडिकल कॉलेज हेल्थ वर्कर्स को बार-बार कोविड इंफेक्शन क्यों होता है, इसकी जांच करेगा। झारखंड में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने देश के 10 चिकित्सकीय शिक्षण संस्थानों को चुना है, जिसमें एक एमजीएम मेडिकल कॉलेज भी है। शनिवार को इसके लिए स्थानीय अनुमति कमेटी की बैठक हुई, जिसमें अनुसंधान की अनुमति को स्वीकृति दे दी गयी। अनुसंधान के नोडल पदाधिकारी डॉ. उमाशंकर सिंह हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च इस बात को लेकर चिंतित है कि स्वास्थ्यकर्मी, जिसमें चिकित्सक सहित अन्य कर्मचारी शामिल हैं, वे बार-बार संक्रमित क्यों हो रहे हैं। जो पहले वेव में संक्रमित हुए, वे दूसरे वेवे में भी हो गए। यही नहीं, जिन्होंने टीका लिया वह भी संक्रमित हुआ।
सेंट्रल जोन की दो साइट बनी
रिसर्च के लिए अलग-अलग मेडिकल कॉलेज का निर्धारण किया गया, जिसमें सेंट्रल जोन से एमजीएम मेडिकल कॉलेज और एआईआईएमएस रायपुर को रिसर्च के लिए चुना गया। इसके अलावा पीजीआईएमएस रोहतक, एसएमएस जयपुर, तिरुनिवलवेली मेडिकल कॉलेज, मैसूर मेडिकल कॉलेज आदि हैं। रिसर्च में 15 महीने लगेंगे और जांच के बाद उसके सात पेपर तैयार कर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च दिल्ली भेजा जाएगा।
बैठक का आयौजन फार्माकोलॉजी विभाग में किया गया, जिसमें प्रिंसिपल डॉ. आरके मंधान, डॉ. पी सरकार, डॉ. नीलम चौधरी, डॉ. उपेन्द्र कुमार, डॉ. रतन कुमार, डॉ. रीना झा और रिसर्च यूनिट के सदस्य विमल कुमार, कुबेर व मनीष उपस्थित थे। रिसर्च डॉ. उमाशंकर सिंह, डॉ. महेश गोयल, डॉ. पियाली गुप्ता, डॉ. रंजन कुमार वर्णवाल की टीम करेगी।
एमजीएम में दो मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में दो मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट चलती है। यह 2013 में बना थी, तब यह पूरे झारखंड, बिहार और बंगाल का इकलौती यूनिट थी। उसमें कर्मचारी हेल्थ रिसर्च विभाग के ही रहते हैं। अब दो यूनिट है, जो रांची और जमशेदपुर में है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के काम को देखकर इसका चयन किया गया है। इसमें डॉ. उमाशंकर सिंह को नोडल व लोकल प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर बनाया गया है।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के बेहतर कार्य के चलते हमें चुना गया। अनुमति कमेटी के चेयरमैन डॉ. एसएस रजी हैं। इसके अलावा सामाजिक, न्यायिक व अन्य क्षेत्र के लोग हैं। सभी की उपस्थिति में अनुसंधान की अनुमति मिली।