निर्धारित तिथि 19 जुलाई तक उसे 8500 से ज्यादा सुझाव मिले हैं। अब इन सुझावों पर मंथन के बाद मसौदे को अंतिम रूप दिया जाएगा। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदित्य नाथ मित्तल ने सोमवार को बताया कि विधेयक मसौदा आयोग की वेबसाइट (upslc.upsdc.gov.in) पर अपलोड किया गया था। मसौदे पर 19 जुलाई तक सुझाव एवं आपत्तियां मांगी गई थीं। ज्यादातर सुझाव आयोग को ई-मेल (statelawcommission2018@gmail.com) पर प्राप्त हुए हैं। अब इन सुझावों को एकत्र करके उस पर मंथन किया जाएगा। ये सुझाव देश भर से मिले हैं, जिसमें केरल तक से भेजा गया सुझाव भी शामिल है। एक नागरिक ने 28 पेज का सुझाव भेजा है, जबकि विधेयक का मसौदा ही 18 पेज का था। यह विधेयक उत्तर प्रदेश जनसंख्या(नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) एक्ट 2021 के नाम से जाना जाएगा और यह 21 वर्ष से अधिक उम्र के युवकों और 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों पर लागू होगा।
आयोग के मसौदे पर छिड़ी राजनीतिक बहस
जनसंख्या विधेयक का मसौदा सामने आते ही राजनीतिक बहस छिड़ गई है। ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ स्वीकार करने वाले माता-पिता को विशेष प्रोत्साहन एवं सुविधाएं देने के प्रस्ताव पर खास एतराज जताया गया है। आयोग ने अपने मसौदे में एक बच्चे की नीति अपनाने वाले माता-पिता को कई तरह की सुविधाएं देने और दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी नौकरियों से वंचित करने और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने से रोकने समेत कई तरह के प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है।
‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ स्वीकार करने वाले बीपीएल श्रेणी के माता-पिता को विशेष तौर पर प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसी तरह दो से ज्यादा बच्चों के माता-पिता को कई तरह की सुविधाओं से वंचित करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें उन्हें स्थानीय निकायों का चुनाव लड़ने से रोकने, सरकार से मिलने वाली सब्सिडी बंद किए जाने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने पर रोक लगाने तथा सरकारी नौकरी कर रहे लोगों को प्रोन्नति से वंचित करने का प्रस्ताव रखा गया है। आयोग के अनुसार ये सभी प्रस्ताव जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करके नागरिकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित पाठ्यक्रम स्कूलों में पढ़ाए जाने का सुझाव भी दिया है।