देश में निर्मित पहले विशालकाय स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के बेसिन ट्रायल सफल रहे हैं। अब पोत को अगस्त के पहले सप्ताह में गहरे समुद्र परीक्षण के लिए उतारा जाएगा। कोचीन शिपयार्ड और नौसेना ने इसके लिए तैयारियां तेज कर दी हैं। यह परीक्षण हिन्द महासागर में किए जाएंगे। इसके बाद इसे चीनी समुद्र सीमा के निकट तैनात करने की योजना है, ताकि चीन की किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
नौसेना के सूत्रों के अनुसार, आईएनएस विक्रांत अब पूर्ण रूप से तैयार है तथा सेवा में तैनाती से पूर्व कुछ औपचारिक परीक्षण ही शेष रह गए हैं। अगले महीने से जब इसे जब गहरे समुद्र में परीक्षण के लिए ले जाया जाएगा तो नौसेना इसकी सभी क्षमताओं की जांच करेगी। इसमें अधिकतम तीन-छह महीने तक का समय लगने की संभावना है। बता दें कि परियोजना करीब तीन साल के विलंब से चल रही है।
नौसेना के सूत्रों ने कहा कि समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद इसे तैयार कर रही एजेंसी कोचिन शिपयार्ड इसे नौसेना को सौंप देगा। नौसेना अलग से भी कुछ परीक्षण करती है, जिसके बाद इसे नौसेना की सेवा में तैनात कर दिया जाएगा। यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो यह 2022 के मध्य से नौसेना द्वारा इसका संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
अभी सिर्फ आईएनएस विक्रमादित्य
अभी भारत के पास सिर्फ एक विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य है, जिसे कुछ साल पूर्व रूस से खरीदा गया था। इसे अरब सागर में कारवार के निकट तैनात किया गया है ताकि पाक से मिलने वाली किसी चुनौती का करारा जवाब दिया जा सके। जबकि आईएनएस विक्रांत को दक्षिणी हिन्द महासागर में तैनात किया जाएगा ताकि चीन के खतरे से निपटा जा सके।
40 विमान तैयार रहेंगे
आईएनएस विक्रांत में 1.5 एकड़ का डेक है, जिसमें 40 विमान हर समय उड़ान भरने के लिए तैयार रहेंगे। यह 262 मीटर लंबा है तथा मिग-29 जैसे 26 अत्याधुनिक विमान एक साथ इस पर खड़े हो सकते हैं। जबकि 10 हेलीकॉप्टर या छोटे विमानों को भी साथ में इसमें रखा जा सकता है। इसमें 200 नौसेना अधिकारी एवं डेढ़ हजार नाविक भी तैनात किए जाएंगे।
एक और विमानवाहन पोत की मांग
नौसेना ने सरकार से एक और विमानवाहक पोत की मांग की है। उसका कहना है कि देश के समक्ष हमेशा दो मोर्चों पर खतरा बना रहता है। इसलिए एक पोत चीन की ओर तथा एक पाकिस्तान की ओर हमेशा तैनात रहना चाहिए। ऐसे में एक विमानवाहन पोत स्टैंडबाई चाहिए। क्योंकि जम भी पोत को सर्विसिंग आदि के लिए भेजा जाता है तो उसमें लंबा वक्त लगता है। ऐसे में तीसरे पोत को वहां तैनात किया जाएगा।