तमिलनाडु के कई गांवों के लोग चिड़ियों और चमगादड़ों को होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए दिवाली पर पटाखे नहीं चलाते हैं.
तिरूनलवेली के कूतनकुलम गांव में पक्षी विहार है और वहां के लोग लंबे समय से दिवाली के समय पटाखे चलाने से बचते हैं. दिलचस्प बात यह है कि गांव के लोग पक्षियों को तेज आवाज से होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए धार्मिक स्थलों और व्यक्तिगत समारोहों में भी तेज आवाज वाले लाऊडस्पीकर का प्रयोग कम से कम करते हैं.
इसी तरह सलेम पेराम्बुर के करीब वव्वाल तोप्पु गांव तथा कांचीपुरम के निकट विशार के लोग पटाखे इसलिए नहीं चलाते हैं ताकि आसपास बसे चमगादड़ों को परेशानी ना हो. पेराम्बुर के लोगों का कहना है कि पटाखे नहीं चलाने का फैसला करीब एक सदी पहले लिया गया ताकि चिड़ियों और चमगादड़ों को परेशानी ना हो.
देश में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हो रही बहस
वहीं दूसरी तरफ देशभर में बहस चल रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा बेचने पर रोक क्यों लगा दी. हर साल केवल दिवाली के दिन और उसके बाद ही प्रदूषण क्यों मापा जाता है. यही नहीं अजान के वक्त तेज लाऊडस्पीकर की शिकायत को लेकर गायक सोनू निगम कंट्रोवर्सी में फंस चुके थे. मंदिरों में हर दिन बजने वाले तेज लाऊडस्पीकर की शिकायत कई बार लोग अपने स्तर पर करते रहे हैं.