कानपुर में नेहरू नगर के 30 साल के युवा को न कोरोना हुआ और न ही स्टेरॉयड खाई, लेकिन ब्लड शुगर लेवल लगातार 400 और 450 के बीच रहने से ब्लैक फंगस ने हमला बोल दिया। आखिर में उसकी एक आंख निकालनी पड़ गई। इसी तरह हैलट में तीन रोगी और हैं।
उनके भी कोरोना नहीं था लेकिन ब्लड शुगर नियंत्रित करने में लापरवाही की। ब्लड शुगर लेवल बढ़ा रहने की वजह से फंगल संक्रमण हो गया। इनका इलाज किया जा रहा है। ये रोगी तो हैलट में भर्ती होकर इलाज करा रहे हैं। इसके अलावा बहुत से और भी नॉन कोविड रोगी निजी अस्पतालों और ओपीडी स्तर पर नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञों से इलाज करा रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि माहौल में कई तरह के फंगस होते हैं। ब्लैक फंगस अधिक खतरनाक है। ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित न रहने के कारण यह तेजी से बढ़ता है। हाई ब्लड शुगर के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर हमला बोल देता है।
कानपुर डायबिटीज एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी का कहना है हाई ब्लड शुगर से संक्रमण जल्दी हो जाता है। रोगी के स्ट्रेस में रहने से भी ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। वहीं जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. गणेश शंकर ने बताया कि कोरोना काल में लोगों का स्ट्रेस बढ़ गया है।
इसके साथ ही लोग डर के कारण स्ट्रेस बढ़ा लेते हैं। इससे अवसाद के साथ दूसरी मेटाबोलिक बीमारियां भी बढ़ने लगती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जो नॉन कोविड ब्लैक फंगस के रोगी मिले हैं, उनमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ पाया गया है।