गोरखपुर: कोविड के दो मरीजों में मिले ब्लैक और ह्वाइट फंगस के लक्षण, जांच के लिए भेजा गया नमूना

कोरोना संक्रमित मरीजों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती दो संक्रमित मरीजों में ब्लैक और ह्वाइट फंगस दोनों के लक्षण मिले हैं। इन मरीजों के नेजल स्वॉब (नाक के अंदर का स्राव) की जांच में दोनों फंगस की पहचान हुई है। इसके बाद से अन्य मरीजों में हड़कंप मच गया है। जबकि मौजूदा समय में बीआरडी में कुल 21 ब्लैक फंगस के लक्षण वाले मरीज भर्ती है। इनमें दो में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। जबकि 17 मरीज कोविड वार्ड में भर्ती है। 

इसके अलावा तीन मरीज ऐसे हैं, जिनमें पहले ही ह्वाइट फंगस के लक्षण मिल चुके हैं। बताया जा रहा है कि मरीजों के नाक से निकाले गए फंगस को कल्चर एंड सेंसटिविटी टेस्ट के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग में भेज दिया गया है। दोनों मरीज बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती हैं। दोनों पुरुष हैं। उनकी उम्र 48 व 51 वर्ष है।

एक मरीज कुशीनगर का रहने वाला है जबकि दूसरा गोरखपुर का। नाक के आंतरिक हिस्से से शुरू हुआ संक्रमण दोनों की आंखों तक पहुंच गया है। इसके बाद से हड़कंप मचा हुआ है। प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है। दो मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। अन्य मरीजों का सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। इनकी रिपोर्ट 72 से 96 घंटे के अंदर आएगी।
लक्षण के साथ नेजल स्वॉब में मिले संकेत
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में करीब दो दर्जन फंगस के संदिग्ध मरीज है। सिर्फ दो मरीजों में जांच में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। शेष मरीजों में पहचान के लिए प्रारंभिक जांच के तौर पर नेजल स्वॉब को माइक्रोबायोलॉजी विभाग में भेजा गया था। यह जांच दो दिन पहले भेजी गई थी। इसकी रिपोर्ट रविवार को आई है। रिपोर्ट में दो मरीजों में दोनों फंगस के लक्षण मिलने से डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया है।

मिले है यह फंगल
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. राम कुमार जायसवाल ने बताया कि नेजल स्वॉब की जांच से सिर्फ फंगस के मौजूदगी की जानकारी होती है। दोनों मरीजों की जांच में म्यूकोरमाइकोसिस के अलावा कैंडिड और एस्पराजाइला फंगस के संकेत मिले हैं। इसका पता कल्चर और सेंसटिविटी टेस्ट के बाद ही चलेगा। दोनों के नमूने माइक्रोबायोलॉजी विभाग में भेजे गए हैं।

पहले भी मिल चुके है ऐसे केस
डॉ. राम कुमार जायसवाल ने बताया कि कई बार एक से अधिक फंगस मरीजों के अंदर मिल जाते हैं। लेकिन शरीर को केवल एक ही फंगस प्रभावित करता है। इसकी जांच कल्चर एंड सेंसटिविटी टेस्ट में ही पता चल पाता है कि कौन से फंगस शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। इसकी रिपोर्ट तीन से चार दिन में मिलती है। इसके बाद पता चल सकेगा कि दोनों का फंगस कितना प्रभावी हैं।

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