लखनऊ। प्रदेश के पूर्व परिवहन मंत्री और गैंग रेप केस के आरोपी गायत्री प्रजापति की जमानत को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच रद्द कर दिया है। हाल ही में उनको जमानत मिली थी। एक महिला के साथ गैंगरेप और उसकी बेटी के साथ अश्लील हरकत करने के आरोप में गायत्री प्रजापति जेल में थे।
गायत्री प्रजापति और उनके साथियों को कोर्ट ने हाल ही में दी थी जमानत
हालांकि की जमानत के बाद वो बाहर नहीं निकल पाए थे कि पुलिस ने उनके खिलाफ दो अन्य मामले दर्ज करने के साथ ही जमानत को भी चुनौती दी। उनके दो साथी पिंटू और विकास को भी अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया। इन सभी को कोर्ट ने एक एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी है। लेकिन पुलिस ने गायत्री की 14 दिन की रिमांड ले ली थी। सेशन कोर्ट ने रेप के मामले में गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत दी थी। आज इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनकी जमानत पर रोक लगा दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बी। भोसले ने अपर सत्र न्यायाधीश के 25 अप्रैल को गायत्री प्रसाद प्रजापति तथा उनके दो अन्य साथियों विकास व पिंटू की जमानत पर रोक लगा दी है। जबकि अपर सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्रा ने इनको जमानत दी थी।
पीड़िता का यह भी आरोप है कि अश्लील वीडियो और तस्वीरों के जरिए गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगी साल 2016 तक उसे और उसकी बेटी को हवस का शिकार बनाते रहे। इससे तंग आकर उसने 7 अक्टूबर 2016 को थाने में तहरीर दी, लेकिन उस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। इसके बाद पीड़िता सूबे के आलाधिकारियों से भी मिली थी।
पुलिस से जब पीड़िता को इंसाफ नहीं मिला, तो उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन वहां उसकी याचिका को खारिज कर दिया गया। इसके बाद भी पीड़िता हार नहीं मानी। वह सुप्रीम कोर्ट के दर पर पहुंची। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने गायत्री को गिरफ्तार किया।