गाजियाबाद में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए ज्यादा बिल वसूलने वाले अस्पतालों की जांच पूरी हो गई है। 35 अस्पतालों ने शासन का आदेश ताक पर रखकर खूब मनमानी की और ज्यादा बिल वसूला। अस्पताल संचालक अब रकम लौटाएंगे। ऐसा नहीं करने पर उनका लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। नगर आयुकत जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजेंगे।
अप्रैल और मई माह में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे थे। शहर के 50 निजी अस्पताल भी मरीजों को भर्ती करने के लिए कम पड़ गए। आलम यह रहा कि बेड नहीं मिलने पर अस्पतालों के बाहर कोरोना संक्रमित दम तोड़ रहे थे। इस दौरान निजी अस्पतालों ने इलाज के नाम पर खूब लूट मचाई। मरीजों की जान बचाने के लिए ज्यादा बिल वसूला गया, जबकि शासन ने इलाज के रेट निर्धारित किए थे। प्रशासन के पास जब ज्यादा बिल वसूलने की शिकायतें पहुंचीं तो जिलाधिकारी ने नगर आयुक्त को जांच सौंपी। नगर आयुक्त ने जांच पूरी कर ली है। वह जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को देंगे। जिलाधिकारी स्तर पर ही कार्रवाई करेंगे।
नगर निगम के सूत्रों ने बताया कि जांच में 35 अस्पतालों की मनमर्जी उजागर हुई है। छोटे से लेकर बड़े अस्पतालों ने मरीजों से ज्यादा बिल वसूला। एक लाख से लेकर ढाई लाख रुपये तक का बिल ज्यादा लिया गया। ज्यादा बिल वसूलने वाले अस्पताल रकम लौटाएंगे। ऐसा नहीं करने पर शासन स्तर से उनका लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। हालांकि ज्यादातर अस्पताल संचालक रकम लौटाने के लिए तैयार हो गए हैं।
शासन ने यह रकम तय की थी : शासन ने कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए रेट तय किए थे। इलाज के लिए पूरा पैकेज बनाया गया था। कोविड-19 अंतर्गत मोडरेट सिकनेस वाले मरीजों के एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में इलाज के लिए प्रति दिन के हिसाब से पीपीई किट के चार्ज सहित दस हजार रुपये लेने तथा नॉन एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में इलाज के लिए पीपीई किट के चार्ज सहित आठ हजार रुपये निर्धारित किया गया। गंभीर (सीवियर सिकनेस) ऐसे मरीज जिनको बिना वेंटिलेटर वाले आईसीयू की आवश्यकता है, उसके लिए एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में इलाज के लिए पीपीई किट सहित चार्ज 15,000 तथा नॉन एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में पीपीई किट सहित चार्ज 13,000 रुपये रखा गया था।
पांच अस्पताल ने की वापस
पांच से ज्यादा अस्पताल मरीजों की रकम लौटा चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि जांच टीम के सामने अस्पतालों ने गलती स्वीकार की। इस तरह की गलती भविष्य में नहीं करने की भरोसा दिया। मरीजों के परिजनों को अस्पताल में बुलाकर रकम लौटाई गई।
”अस्पतालों की जांच पूरी हो गई है। यह रिपोर्ट जल्द डीएम को भेजी जाएगी। अस्पतालों पर जिलाधिकारी ही निर्णय लेंगे।