कोरोना वायरस का खतरा सभी लोगों के लिए बराबर है। इस वायरस की चपेट में कोई भी आ सकता है। इसलिए सरकार ने कहा है कि सभी लोगों के लिए कोरोना का टीका लगवाना जरूरी है। एक यही तरीका है जिससे हम कोरोना को हरा सकता है। गर्भवती महिलाओं को इस विषय पर कई शंकाएं रहती हैं। हालांकि केंद्र सरकार और आईसीएमआर पहले ही साफ कर चुके हैं कि गर्भवती महिलाएं कोविड-19 से बचाव का टीका लगवा सकती है। अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसको लेकर गाइडलाइंस जारी की है ताकि लोगों के मन से सारे सवाल चलें जाएं। सरकार की गाइडलाइंस में कहा गया है कि कोरोना की वैक्सीन पूरी करह सुरक्षित है और कहा है कि गर्भावस्था से संक्रमण का खतरा नहीं बढ़ता है।
गाइडलाइंस में गर्भवती महिलाओं को टीका लगवाने की सलाह दी गई है। गाइडलाइंस में कहा, “ज्यादातर गर्भवती महिलाएं एसिम्टॉमेटिक होंगी या उन्हें हल्की बीमारी होगी, लेकिन उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ सकता है और इससे भ्रूण भी प्रभावित हो सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि वे खुद को कोविड -19 से बचाने के लिए सभी सावधानी बरतें, जिसमें कोविड के खिलाफ टीकाकरण भी शामिल है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि गर्भवती महिला को कोविड-19 के टीके लगवाने चाहिए।”
गर्भवती महिलाएं क्यों लगवाएं टीका?
गर्भवती महिलाओं में कोरोना संक्रमण के लक्षण शुरुआती तौर पर मामूली होते हैं, लेकिन कई मामलों में देखा गया कि इसके कारण से उनकी सेहत में अचानक गिरावट आती है और इसका असर उनके गर्भ में पल रहे भ्रूण पर भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर सुनिश्चित हों।
कोरोना के टीके से गर्भवती महिला को सुरक्षा
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में उपलब्ध कोविड -19 टीके सुरक्षित हैं और टीकाकरण गर्भवती महिलाओं को कोविड -19 बीमारी से बचाता है। हालांकि किसी भी दवा की तरह, एक टीके के भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं जो आमतौर पर हल्के होते हैं। वैक्सीन लगवाने के बाद, उसे हल्का बुखार हो सकता है, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द हो सकता है या 1-3 दिनों तक अस्वस्थ महसूस कर सकते हैं।
बता दें कि भ्रूण और बच्चे के लिए टीके के दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव और सुरक्षा अभी तक स्थापित नहीं हुई है। गाइडलाइंस में कहा गया है कि कोरोना की वैक्सीन लगवाने वाली गर्भवती महिला को 20 दिनों बाद ऊपर दिए कुछ लक्षणों दिखाई दे सकते हैं, जिन पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होगी।
कोविड-19 पॉजिटिव माताओं के नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य
बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में आशंकाओं के बारे में बात करते हुए, मंत्रालय ने बताया कि कोविड -19 पॉजिटिव माओं के 95 प्रतिशत से अधिक बच्चों का जन्म अच्छी स्थिति में हुआ है। हालांकि कुछ मामलों में देखा गया है कि कोरोना वायरस के कारण प्री-मैच्योर डिलिवरी की स्थिति बन सकती है। ऐसे बच्चे का वजन 2.5 किलोग्राम से कम हो सकता है और दुर्लभ स्थितियों में और जन्म से पहले ही मर सकता है।
कोविड-19 पॉजिटिव माताओं के ठीक होने की दर
मंत्रालय ने कहा कि अगर कोई गर्भवती महिला वायरस से संक्रमित हो जाती है, तो उनमें से 90 फीसदी बिना अस्पताल में भर्ती हुए ठीक हो जाती हैं, जबकि कुछ में स्वास्थ्य में तेजी से गिरावट आ सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, “लक्षण वाली गर्भवती महिलाओं में गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। गंभीर बीमारी के मामले में, अन्य सभी रोगियों की तरह, गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होगी। हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, 35 साल से अधिक उम्र वाली गर्भवती महिलाओं को कोविड -19 के कारण गंभीर बीमारी का अधिक खतरा होता है”
कोविड-19 के बाद किसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है
जो महिलाएं 35 साल से ज्यादा उम्र की हैं, जिन्हें शुगर, हाई ब्लड प्रेशर है या जिनके शरीर में खून के थक्के जमने का कोई इतिहास रहा हो. ऐसी महिलाओं को खतरा ज्यादा रहता है. अगर महिला गर्भावस्था के दौरान कोरोना संक्रमित होती है तो डिलीवरी के बाद उन्हें कोरोना का टीका लगाया जाना चाहिए।
को-विन पोर्टल/ऑन-साइट टीकाकरण केंद्र पर रजिस्ट्रेशन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी गर्भवती महिलाओं को को-विन पोर्टल पर खुद का रजिस्ट्रेशन करने या कोविड -19 टीकाकरण केंद्र में साइट पर खुद को पंजीकृत कराने की सलाह दी।