टोक्यो ओलंपिक वेटलिफ्टिंग में इतिहास रचने वाली मीराबाई चानू ने भारत लौटने के बाद अपना रजत पदक सोमवार को देशवासियों के नाम किया। मणिपुर की इस खिलाड़ी ने 49 किग्रा वर्ग में कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) भार उठाकर शनिवार को रजत पदक हासिल किया था। इससे पहले भारोत्तोलन में 2000 सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक जीता था। खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में मीराबाई ने कहा, ‘ मैं इस पदक को भारतवासियों को समर्पित करना चाहती हूं। यह पदक मैं उन सबको समर्पित करती हूं, जिन्होंने मेरी हौसलाअफजाई की, जिन्होंने मेरे लिये प्रार्थना की। मैं प्रधानमंत्री और खेल मंत्री को शुक्रिया बोलना चाहूंगी। उन्होंने मुझे बहुत कम समय में अभ्यास के लिए अमेरिका भेजा था। सभी तैयारियों को एक दिन में पूरा किया गया था। उनके कारण ही मुझे अच्छा प्रशिक्षण मिला और मैं पदक जीतने में सफल रही। मेरी सफलता का श्रेय टॉप्स (टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना) जैसी योजनाओं को भी जाता है।’
इस मौके पर उनके कोच विजय शर्मा ने कहा कि यह तो सिर्फ शुरुआत है अब आने वाले समय में भारतीय खिलाड़ी और पदक जीतेंगे। मीराबाई और उनके कोच को सम्मानित करने के लिये आयोजित कार्यक्रम में खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, खेल राज्य मंत्री निशिथ प्रामाणिक के साथ किरेन रीजीजू, सर्बानंद सोनोवाल और जी कृष्ण रेड्डी जैसे अन्य केन्द्रीय मंत्री थे। रीजीजू और सोनोवाल पहले खेल मंत्री रह चुके है। ठाकुर ने हिमाचली टोपी, शॉल पहनाकर चानू और उनके कोच को सम्मानित किया।
खेल मंत्री ठाकुर ने कहा कि मीराबाई ने ओलंपिक के पहले दिन पदक जीता जिससे देश के दूसरे खिलाड़ियों का मनोबल काफी बढ़ा है। उन्होंने कहा, ‘ ओलंपिक खेलों के पहले दिन आप ने पदक जीत कर बाकी खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया है। आपकी इस उपलब्धि से बाकी खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी।
मीराबाई का स्वदेश लौटने पर हवाई अड्डे पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया था। उन्होंने यहां पहुंचने के बाद ट्वीट किया, ‘ इतने प्यार और समर्थन के बीच यहां वापस आकर खुशी हो रही है। बहुत – बहुत धन्यवाद।’ इस 26 वर्षीय खिलाड़ी का ‘भारत माता की जय के नारों से स्वागत किया गया