गाजियाबाद में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए दो कंपनियों की वैक्सीन लगाई जा रही है। इनमें कोवि शिल्ड व को-वैक्सीन शामिल है। अधिकतर लोगों को कोवि शिल्ड वैक्सीन लगाई जा रही है। मात्र छह केंद्रों पर ही को-वैक्सीन की डोज उपलब्ध है। जबकि, अधिकतर लोग को-वैक्सीन लगवाना पसंद कर रहे हैं।
लेकिन हालात यह है कोवैक्सीन के स्लॉट खुलने के दो से तीन मिनट में बुकिंग फुल हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर रविवार को पूरे सप्ताह के लिए स्लॉट खोली जाती है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि कोवैक्सीन की डोज कम प्राप्त हो रही हैं इसकी कारण इसके सेंटर भी कम है। इसके साथ ही वैक्सीनेशन का हिसाब उस अनुपात में किया जाता है कि दूसरी डोज का भी शेड्युल न बिगड़ सके।
दूसरे जिलों में बुकिंग कराकर लगवा रहे कोवैक्सीन की डोज
कोवैक्सीन की कमी के कारण लोग गाजियाबाद पर ही निर्भर नहीं है। आसपास के जिलों की बुकिंग भी देखी जा रही है। लोगों को दूसरे जिलों में स्लॉट मिल रहा है। एमपी एनक्लेव में रहने वाली ऊषा त्यागी व रजनी जज को कोवैक्सीन की दूसरी डोज लगवानी थी लेकिन पिछले उन्होंने गाजियाबाद में स्लॉट नहीं मिला।
उसके बाद उन्होंने बुलंदशहर सरकारी अस्पताल में स्लॉट बुक कराकर वैक्सीन लगवाई। वहीं नेहरूनगर निवासी प्रदीप सहदेव पिछले दो सप्ताह ले कोवैक्सीन लगवाने चाह रहे है लेकिन उनके अभी तक स्लॉट नहीं मिला। उसके बाद उन्होंने हापुड में स्लॉट बुकिंग की।
जहां वह शुक्रवार को कोवैक्सीन की पहली डोज लगवाकर आए। गोविंदपुरम निवासी अमित शर्मा ने बताया कि उन्हें बुर्जुग माता पिता के साथ पत्नी पत्नी को कोवैक्सीन लगवानी है। पिछले 15 दिनों से प्रयासरत हैं लेकिन कोई बुंकिंग नहीं मिल रही है।
कोविशिल्ड के दूसरी डोज लग रही आसानी से
जनपद में 40 केद्रों पर कोविशिल्ड की डोज लगाई जा रही है। हालात यह है कि सभी सेंटरों पर बुकिंग खुलते ही फुल हो जा रही हैं। पहली डोज के लिए कोविशिल्ड लगवाने की भी मारामारी है लेकिन इस वैक्सीन की दूसरी डोज के लिए वेटिंग समाप्त हो चुकी है। कई केंद्रों पर दूसरी डोज के लिए स्लॉट खाली है।
इस वजह कोवीशिल्ड के पहले व दूसरी डोज के बीच के अंतर का बढ़ना हैं। इसके दूसरी डोज के लिए अभी मारमारी नही ंहै। जबकि कोवैक्सीन की दूसरी डोज 28 दिन के बाद लगवाने होती है। ऐसे में कोवैक्सीन की दूसरी डोज के लिए भी मारामारी मच चुकी हैं।
गाजियाबादजनपद में केवल छह केंद्रों पर ही को-वैक्सीन की पहली व दूसरी डोज लगाई जा रही है। इस कारण लोगों के जल्दी से स्लॉट बुक नहीं हो रहे हैं। को-वैक्सीन लगवाने के लिए लोग जुगाड़ कर रहे हैं। इसके लिए वे पास के जिले जैसे हापुड़, बागपत और बुलंदशहर में वैक्सीन के लिए स्लॉट बुक कराने का प्रयास कर रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
आईएमए की पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ फिजीशियन डा. वीबी जिंदल का कहना है कि वैक्सीन जो भी मिले उसके लगवाए। मेडिकल के नजरिए से आम लोगों को इसे देखना सहीं नहीं है।
वर्तमान परिस्थितियो में जो वैक्सीन लंबे समय तक एंटी बॉडी विकसित करे वह ज्यादा बेहतर है।
डा. नीरज अग्रवाल, नोडल प्रभारी वैक्सीनेशन का कहना है कि कोवैक्सीन की आपूर्ति कम है।
इस लिए पहली व दूसरी डोज का बैलेंस बनाकर चलना पड़ता है। यही कारण है कि यह कम सेंटरों पर उपलब्ध है। पिछले कुछ दिनों में इस वैक्सीन के सेंटर बढ़े हैं। आने वाले दिनों में स्थिति और बेहतर होगी।