कोर्ट का आदेशः जो अफसर होंगे कुसूरवार, उनके वेतन से कटेगा जुर्माना

हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने काकोरी थाने से संबंधित मामले में अदालत के आदेश के बावजूद नौ महीने तक जांच लटकाए रखने के मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है।
court_1468925285
 
अदालत ने इसके लिए जिम्मेदार विवेचक पर 10 हजार रुपये जुर्माना ठोका है। अदालत ने कहा-जांच लटकाए रखने के लिए जो अफसर कुसूरवार हो उसकी जवाबदेही तय कर उसके वेतन से जुर्माने की रकम काटी जाए।

अदालत ने विवेचक बदलने के बहाने पर भी तल्ख टिप्पणी की और कहा-यह बहाना नहीं चलेगा। जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस डॉ. विजय लक्ष्मी ने यह आदेश अब्दुल माजिद व अन्य की याचिका पर दिया।

याचिका में कहा गया था कि पिछले साल मार्च में उनके खिलाफ काकोरी थाने में दुराचार, धोखाधड़ी सहित दहेज रोकथाम अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।

कहा गया कि ये मामले माजिद के अपनी पत्नी को तलाक के लिए दायर याचिका के बाद दर्ज करवाए गए। वहीं तलाक पर एक समझौता कराया जा चुका है, इसके बावजूद याची को परेशान किया जा रहा है।

इस पर हाईकोर्ट ने 2 मई 2016 को पुलिस के जांच अधिकारी को आदेश दिया कि अगर दोनों पक्षों में समझौता हुआ है तो उसकी जांच की जाए। अदालत ने यह भी कहा कि जांच अधिकारी अपनी रिपोर्ट में यह भी बताए कि तलाक के लिए अर्जी दी गई है या नहीं।

वहीं याची की गिरफ्तारी पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी गई थी और उन्हें पांच दिन में जांच अधिकारी को अपने दावों के संबंध में उपलब्ध साक्ष्य देने के लिए कहा गया था। 

कोर्ट की मदद में पुल‌िस नाकाम

कोर्ट ने कहा कि अप्रैल 2016 के बाद से इस मामले में सुनवाई पांच बार स्थगित करवाई गई है। पुलिस के जांच अधिकारी से जो रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था, वह नहीं दी गई। पेश हुए सब इंस्पेक्टर शशिकांत यादव ने कहा कि उन्होंने 10 दिन पहले ही इस पुलिस स्टेशन में चार्ज लिया है।
हाईकोर्ट ने कहा- पुलिस हाईकोर्ट को अपना सहयोग देने में नाकाम रही है। नौ महीने बीत चुके हैं, पर जांच अधिकारी रिपोर्ट तक नहीं दे सके। यह तक नहीं बता सके कि क्या समझौता हुआ था और क्या इस समझौते के तहत 1.50 लाख रुपये दिए गए थे?

हमें यह कष्ट के साथ कहना पड़ रहा है कि पुलिस बड़ी संख्या में मामलों में ऐसे बहाने बना रही है कि जांच अधिकारी बदल गए हैं। तारीखों को बार-बार स्थगित करवाने के लिए यह बहाना नहीं चलेगा।

 हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी और उस दिन 10 हजार रुपये का जुर्माना जांच एजेंसी देगी। यह जुर्माना उस अधिकारी के वेतन से वसूला जाएगा जिसे कोर्ट की प्रक्रिया में विलंब को दोषी माना जाएगा।

जुर्माने की रकम अवध बार एसोसिएशन के लाइब्रेरी फंड में जमा करवाई जाएगी। अदालत ने फैसले की कॉपी आईजी लखनऊ जोन को भेजने के भी निर्देश दिए हैं, जिन्हें इनका पालन करवाना होगा। अगली तारीख पर सीओ मलिहाबाद को तलब किया गया है।

फुटेज तक नहीं खंगाल सकी गोमतीनगर पु‌ल‌िस

सिटी मॉल के रमाला क्लब में लूट, मारपीट और फसाद के मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद गोमतीनगर पुलिस सीसीटीवी फुटेज तक नहीं खंगाल सकी। अदालत ने इसपर सख्त रुख अख्तियार करते हुए विवेचक पर पांच हजार रुपये जुर्माना ठोका है। 
जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस डॉ. विजय लक्ष्मी ने यह आदेश शाहनवाज खान व अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया। याचिका में कहा गया था कि सिटी मॉल के रमाला क्लब में लूट, मारपीट, फसाद करने के आरोप में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

याचियों ने गुजारिश की कि यह घटना सीसीटीवी में कैद हुई थी लिहाजा फुटेज की जांच करवाकर सच्चाई सामने लाई जानी चाहिए। अदालत ने 18 नवंबर 2016 को अपने निर्देशों में पुलिस के जांच अधिकारी को रोजाना सीओ के सुपरविजन में मामले की जांच करने के लिए कहा था।

साथ ही सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था। अदालत ने आरोपियों की गिरफ्तारी पर अगले आदेश तक रोक लगाते हुए आरोपियों व क्लब के प्रबंधकों को जांच में पूरा सहयोग करने के लिए भी कहा था।

मामले की सुनवाई के दिन 11 जनवरी को पुलिस की गुजारिश पर हाईकोर्ट ने मामले को 28 फरवरी के लिए टाल दिया है। हालांकि कोर्ट की कार्यवाही में देरी और निर्देशों पर अमल न होने पर जांच अधिकारी पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।  हाईकोर्ट ने कहा है कि यह जुर्माना जांच अधिकारी के वेतन से वसूला जाएगा।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com