कोरोना वायरस के कहर की रफ्तार भले ही देश में थोड़ी कम हो गई हो, मगर दुनिया में अब इसके अलग-अलग रूपों ने कहर मचाना शुरू कर दिया है। भारत में कोरोना की तीसरी लहर की चिंता के बीच वायरस के नए-नए वैरिएंट भी मुसीबत बने हुए हैं। कोरोना के एक के बाद एक वैरिएंट कहर मचा रहे हैं और सभी भयावहता के मामले में एक-दूसरे पर भारी हैं। कोरोना के डेल्टा से लेकर डेल्टा प्लस और लैंब्डा और कप्पा तक की देश और दुनिया में एंट्री हो चुकी है। तो चलिए यहां हम आपको कोरोना के इन वैरिएंट्स के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। इसमें डेल्टा के अलावा डेल्टा प्लस, लैंब्डा और कप्पा वैरिएंट हैं।
डेल्टा
डेल्टा वैरिएंट ही वह वजह है जिसके चलते भारत में कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर आई थी। कोविड-19 का ये वेरिएंट पहली बार भारत में ही मिला था। इसी से भारत में कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण काफी तेज़ी से फैलता है। साथ ही ऐसे में मरीजों में कोरोना के गंभीर लक्षण दिखते हैं। इस वक्त ब्रिटेन और इज़राइल में इसी वेरिएंट के चलते कोरोना के नए केस में तेज़ी से इज़ाफा हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक इज़राइल में कोरोना के 90 फीसदी केस इसी वेरिएंट के हैं। ये स्थिति तब है जब वहां 50 फीसदी लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है।
कोरोना का ये एक अन्य वेरिएंट डेल्टा में ही म्यूटेशन के बाद देखने को मिला है। फिलहाल इसे ‘वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट’ की कैटेगरी में रखा गया है, यानी इसमें ये पता लगाने कि कोशिश की जा रही है कि किस तरह से ये अपना रूप बदल रहा है। फिलहाल इसे ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ में नहीं रखा गया है, यानी तुरंत चिंता की बात नहीं है। हाल के दिनों में महाराष्ट्र में डेल्टा प्लस के काफी ज्यादा केस सामने आए हैं।
कप्पा वेरिएंट
WHO ने इस वेरिएंट को अब तक ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ नहीं कहा है। फिलहाल इसे वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की श्रेणी में रखा गया है। डेल्टा की तरह कप्पा भी अपने दो म्यूटेशंस EE484Q और L452R के चलते डबल म्यूटेंट है। बता दें कि लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज 109 सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग की थी। इसी दौरान कुछ सैंपल में कप्पा वेरिएंट दिखा।
लैम्बडा
वहीं कोरोना का अगले वैरिएंट लैम्बडा को फिलहाल ‘वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट’ की कैटेगरी में रखा गया है, केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि भारत में अब तक कोविड के लैम्बडा वेरिेंट का कोई मामला सामने नहीं आया है। 14 जून को डब्ल्यूएचओ द्वारा पहचाना गया लैम्बडा वायरस का सातवां वैरिएंट था और 25 देशों में इसका पता चला है। बता दें कि लैम्बडा के कुछ केस कनाडा में मिले हैं।