जहां चाह-वहां राह। कोरोना ने बाहर निकलने का रास्ता बंद किया तो घर की छत पर न केवल सब्जी की खेती कर ली बल्कि खास यह कि इसके जरिए बच्चों को पढ़ाने का तरीका भी निकाल लिया। लगभग डेढ़ साल से बंद सरकारी स्कूल के बच्चों को बिना किताब व्यवहारिक तौर पर पेड़-पौधों के जरिए पढ़ाने का यह प्रयोग सरकारी स्कूल के शिक्षक दपंती कर रहे हैं।
बीएमपी 6 निवासी शिक्षक सुबोध कुमार का कोरोना महामारी के बीच समय का यह सदुपयोग अब आस-पास के लोगों के लिए उदाहरण बनता जा रहा है और कई लोगों ने इस प्रयोग को शुरू किया है। अपने घर की छत पर इस शिक्षक दंपती ने भिंडी, साग, नेनुआ से लेकर कई तरह की सब्जी की खेती की है। इन सब्जियों के जरिये कई बच्चों को ऑनलाइन जोड़ ये साइंस, सोशल साइंस जैसी चीजें भी पढ़ा रहे हैं।
प्रकाश संशलेषण समेत कई चीजें आसानी से समझते बच्चे
मुशहरी में सरकारी स्कूल में कार्यरत शिक्षक सुबोध कहते हैं कि हमारे मोहल्ले से लेकर गांव के ऐसे बच्चे जिनके अभिभावक के पास मोबाइल हैं, उनका एक ग्रुप हमने बनाया है। कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत के साथ ही यह प्रयोग मैंने शुरू किया। अलग-अलग सब्जी में क्या पाया जाता है, किस चीज के ये श्रोत हैं। इन्हें लगाने के तरीके से लेकर पौधे में फूल से लेकर फल तक निकलने की पूरी प्रक्रिया हम बच्चों को व्यवहारिक तौर पर दिखा रहे हैं। इससे जहां बच्चों को जहां हम व्यवहारिक तौर पर सीखाने में सफल हो रहे हैं, वहीं हमारे समय का सदुपयोग भी हुआ और घर की खेती से हम सब्जी खा रहे हैं। खास यह कि इन सब्जियों को उगाने में भी घर के फल के छिलकों आदि से बने खाद का प्रयोग किया गया है।
अन्य स्कूल-कॉलेज तक के शिक्षक अपनी छत पर कर रहे प्रयोग
नीतिश्वर कॉलेज की शिक्षक डॉ. रंजना कुमारी, धनजंय झा, रजवाड़ा स्कूल की पूर्व प्रधानाध्यापक सुनैना कुमारी समेत कई शिक्षक इसे अब प्रयोग में ला रहे हैं। डॉ. रंजना कहती हैं कि घर की छत पर घर में बने खाद से इस तरह सब्जी उगाने से न केवल इस समय में हमें सकरात्मकता मिल रही है बल्कि पोषक चीजें भी मिल रही है।