कोमोरबिडिटी मरीजों पर मंडराया कोरोना वायरस के नए वैरिएंट का खतरा, निगेटिव रिपोर्ट फिर भी सावधानी जरूरी

कोरोनावायरस की तीसरी लहर को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक चिंतित है। दक्षिण अफ्रीका में एक बार फिर से महामारी ने अपना तेजी से प्रसार किया है। यहां शनिवार को एक दिन में 26 हजार नए मामले दर्ज हुए, जो अब तक एक दिन के भीतर का सर्वाधिक आंकड़ा है। भारत में भी अगस्त के बाद संक्रमण की तीसरी लहर आने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में डॉक्टर और वैज्ञानिक कोमोरबिडिटी यानी जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है और पोस्ट कोविड मरीजों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। फिर चाहे एक बार कोरोना संक्रमित होने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी हो।

डॉक्टरों का कहना है कि कमजोर इम्यून सिस्टम ही वायरस के नए वैरिएंट को उत्पन्न करता है और यह एक नई समस्या को भी जन्म देता है। हालांकि नए वैरिएंट से खतरा किस स्तर व किस हद तक हो सकता है, यह रिसर्च का विषय है। मगर चिकित्सा विज्ञानी नए वैरिएंट से जुड़ी अनिश्चितताओं को लेकर खासे चिंतित हैं, इसी लिए किसी भी स्तर पर बरती गई लापरवाही घातक साबित हो सकती है और डॉक्टर भी इससे सजग रहने की सलाह देते हैं।

कमजोर इम्युनिटी से बढ़ा वायरस के म्यूटेशन का खतरा

SGPGI (संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट) के निदेशक प्रो. आरके धीमन का कहना है कि डेल्टा वायरस का 18वां म्युटेशन (K417N) ही डेल्टा प्लस बना। कोमोरबीडीटी से जूझ रहे लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है। वायरस उनके शरीर में कई अंगों को खराब कर सकता है। ऐसे में सतर्कता बरतना लाजिमी है। कोमोरबिडिटी से जूझ रहे पेशेंट का कोविड व पोस्ट कोविड फेज दोनों मे ही ख्याल रखना जरुरी है। ईकैब यानी एक्सटेंडेड कोविड एप्रोप्रियेट बेहवीयर के तहत वैक्सीनेशन भी अहम मुद्दा है। साथ ही वायरस के नए वैरिएंट को भी बनने से भी रोकना होगा है। पोस्ट कोविड में लापरवाही न बरतें और नियमित चिकित्सकों के संपर्क में रहे।

वैक्सीनेशन ही मददगार, आगे बढ़िए और लगवाएं

डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिए वैक्सीनेशन काफी मददगार साबित हो रहा है। इसलिए कोमोरबिडिटी वाले पेशेंट भी डॉक्टर से संपर्क करके वैक्सीनेशन करवाएं।वैक्सीन लगने से उनमें प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है और संक्रमण की चपेट में आने पर भी कोरोना को मात देने की संभावना काफी मजबूत हो जाती है। कोवीशील्ड वाइल्ड टाइप यानी मूल वायरस पर 80 प्रतिशत प्रभावी है। डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने पर कोवीशील्ड की दो डोज 60 प्रतिशत तक और एक डोज 33 प्रतिशत की एफिकेसी रह जाती है। वहीं, कोवैक्सीन की डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ एफिकेसी 65.2 बताई गई। यही कारण है कि वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है।

कोमोरबिडिटी क्या है और इससे वायरस संक्रमण कैसे बढ़ रहा?
कोमोरबिडिटी मतलब जिन्हें पहले से गंभीर बीमारी है। जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, फेफड़े की बीमारी, एचआईवी, कैंसर जैसी बीमारी है। ऐसे लोगों में रोग से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। वायरस उनके फेफड़ों में तुरंत पहुंच जाता है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है। इसमें ज्यादा बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं आती हैं। कारण गर्भवती महिलाओं की रोग से लड़ने की क्षमता होती है।

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