कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव के गोरखपुर से दो बड़े संयोग जुड़े हैं। इनका खुलासा खुद राजू ने अमर उजाला से विशेष बातचीत में किया। राजू श्रीवास्तव बोले कि गोरखपुर से उनका पुराना रिश्ता है। स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर के नाते पहली बार वह गोरखपुर तब आए थे जब मेडिकल कॉलेज में कई बच्चों की मौत हुई थी। मौत का कारण सिर्फ ऑक्सीजन की कमी नहीं बल्कि अस्वच्छता भी थी। उन्होंने तब अस्पताल के आसपास सफाई कर स्वच्छता का संदेश दिया था। दूसरा रिश्ता गोरखनाथ मंदिर से है, यहां आता हूं तो मंदिर के दर्शन का सौभाग्य मिलता है।
गोरखपुर के मोहद्दीपुर स्थित होटल रेडिसन ब्लू में ठहरे राजू श्रीवास्तव ने कामेडी विधा से लेकर सामाजिक सरोकार हर विषय पर अमर उजाला के सामने खुल कर अपनी बातें रखीं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे उत्तर प्रदेश फिल्म विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है, उनकी अपेक्षा पर खरा उतरने के लिए मैं प्रदेश में अधिक से अधिक फिल्मों की शूटिंग कराने के प्रयास कर रहा हूं। प्रदेश के पर्यटन, ऐतिहासिक स्थल और प्राकृतिक सौंदर्य वाले स्थानों का लगातार प्रमोशन किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक फिल्म निर्माता यहां आएं।
ये बातें बॉलीवुड के हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव ने अमर उजाला से बातचीत के दौरान कहीं। वह गोरखपुर महोत्सव में परफार्मेंस देने आए थे। फिल्मी कॉमेडी को स्टैंड अप कॉमेडी से आसान करार देते हुए बताया कि फिल्मों में तो रीटेक कर सकते हैं लेकिन स्टेज पर न तो कट होता है और न ही रीटेक। स्टैंड अप कॉमेडी का मुख्य किरदार ही कॉमेडियन होता है जबकि फिल्मों में अभी भी उसे फिलर की तरह ही इस्तेमाल किया जाता है। आजकल होटलों में चल रहे लॉफिंग क्लब में स्टैंडिंग कॉमेडी के नाम पर अश्लीलता परोस रहे हैं यह समाज के लिए चिंता की बात है। जहां तक राजू श्रीवास्तव का सवाल है मैं एसी कॉमेडी में विश्वास रखता हूं जो परिवार साथ बैठ कर देखी जा सके।
राजू श्रीवास्तव बोले कि अक्सर मुझ पर आरोप लगता है कि आप लालू यादव, मुलायम सिंह यादव, आडवाणी आदि राजनेताओं की मिमिक्री करते हैं लेकिन नरेंद्र मोदी की नहीं। यहां तक एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने खुद मुझसे यह सवाल पूछा। मैंने उनसे कहा कि आपकी आवाज की कोशिश कर रहा हूं जल्द ही लोगों तक आपका किरदार निभाता दिखूंगा। बोले कि पहले नेता मिमिक्री पर नाराज होते थे लेकिन अब तो इसके लिए पैरवी होती है। क्योंकि मिमिक्री से नेताओं की लोकप्रियता बढ़ती है।
मुंबई की लोकल ट्रेनों पर बोले कि मुंबई की लोकल ट्रेन में इतनी भीड़ होती है कि अगर खुजली हो तो अपना शरीर तलाशना पड़ता है, कभी कभी तो बगल वाला बोलता है ऐ भाई अपनी अपनी खुजाओ। ट्रेन में इतनी भीड़ की कोई दूसरा आपके कंधे पर सर रखकर सोता है और आप किसी तीसरे के कंधे पर।
राजू ने टीवी को भी हास्य का विषय बनाया। बोले कि रिमोट को भी दर्द होता है। जितने हाथों में जाता है उतनी बार चैनल बदला जाता है। बोले इतने चैनलों में फैशन टीवी अकेला फंसा हुआ है। लोग कहते हैं कि इतना गंदा आता है कि परिवार के साथ नहीं देख सकते, सबको अलग अलग देखना पड़ता है।
एक वृद्ध अकेले में फैशन टीवी चैनल तलाश रहे थे, मैने पूछा कौन सा चैनल ढूंढ रहे हो तो बोले जिसमें आदिम जाति के लोग दिखाए जाते हैं। इस पर दर्शकों ने खूब ठहाके लगाए। भारत की भाषाई भिन्नता को भी उन्होंने हास्य का विषय बनाया। बताया कि बंगाली हर बात ओ लगाते हैं जल को जोल बोलते हैं।
एक बाबू मोयाश ने मुझसे कहा कि राजू कोल शाम को भोजन पर आना। दूसरे दिन उनके घर पहुंच गया। रात ग्यारह बज गए खाना नहीं आया तो पूछा बाबू मोशाय भोजन कहां है तो बोले वो छत पर चल रहा है राम जी का भोजन। तब समझ में आया कि उन्होंने भजन पर बुलाया था। बिहारी भी र को ड़ बोलते हैं भरवां बैंगन और भरवां मिर्ची का नाम जब कोई बिहारी लेता है तो मैं कुछ और ही समझता हूं।
अंत में उन्होंने बारातों में भोजन शुरू होने का इंतजार करने वालों का नक्शा खींचा। बोले कि जब तक ढक्कन नहीं खुलता लोग बहुत ही संभ्रांत तरीके से बात करते हैं। योगी जी इज डूइंग वेल, अभी तक ढक्कन नहीं खुला, मोदी जी की इंटरनेशनल पॉलिसी का कोई जवाब नहीं, यार अभी तक ढक्कन नहीं खुला। जैसे ही ढक्कन खुलता है तो सभी इस तरह टूटते हैं जैसे दुश्मन का किला फतह करना हो। कुछ लोग तो कोरम पूरा करने के लिए सब कुछ अपनी प्लेट में ले लेते हैं कि कल कोई यह न कह दे कि हलवे के बाद तो असली खाना लगा था। पानी इतनी दूर रखा जाता है कि रिक्शा करना पड़े।