कांग्रेस की सबसे बड़ी स्टार प्रचारक सोनिया गांधी इस बार सूबे में कहीं पर भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं निकलीं। सात चरणों के चुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में सबसे पहला नाम इन्हीं का दर्ज था।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी कांग्रेस के स्टार प्रचारक थे, लेकिन चुनाव में कहीं नहीं दिखे। जबकि इससे पहले के चुनाव में कांग्रेस उनसे पीलीभीत के तराई वाले इलाके में चुनाव प्रचार करवाती थी। इस इलाके में सिख समुदाय के मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है।
इस बार वे रायबरेली में केवल नाम के लिए आईं। उन्होंने किसी भी प्रत्याशी का चुनाव प्रचार नहीं किया। अमेठी में तो वे एक भी दिन प्रचार के लिए नहीं गईं।लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार भी सूबे में कहीं पर भी प्रचार करने नहीं आईं। केवल वाराणसी में वे एक-दो दिन जरूर दिखाई दीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे भी केवल वाराणसी तक ही सीमित रहे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कमल नाथ व कैप्टन सतीश शर्मा भी हैं तो स्टार प्रचारक, लेकिन सूबे में कहीं पर भी प्रचार करने नहीं गए। सचिन पायलट भी सूबे में एक भी दिन कांग्रेस का प्रचार करने नहीं आए।
स्टार प्रचारक कांग्रेस के लेकिन वोट मांगा भाजपा के लिए भोजपुरी फिल्मों के कलाकार रवि किशन थे तो कांग्रेस के स्टार प्रचारक, लेकिन उन्होंने वोट भाजपा के लिए मांगे। दरअसल, रवि किशन ने ऐन मौके पर कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा में शामिल हो गए।
कांग्रेस ने इनका नाम सातवें चरण के स्टार प्रचारकों की सूची में दर्ज किया था। कांग्रेस इनसे पूर्वांचल में प्रचार करवाना चाहती थीं। रवि किशन ने न सिर्फ भाजपा जॉइन की बल्कि पूर्वांचल में कई जगह भाजपा के समर्थन में रोड शो कर कमल के लिए वोट मांगा।
मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार ने भी कर लिया किनारा
कांग्रेस ने सूबे में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार के रूप में दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का नाम घोषित किया था। लेकिन चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से समझौता कर लिया।
इसके बाद कांग्रेस ने शीला दीक्षित की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी वापस ले ली। इसके बाद से शीला दीक्षित सूबे में कहीं पर भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं आईं। जबकि इनका नाम भी स्टार प्रचारकों की सूची में दर्ज था।
राज्यसभा सांसद व चुनाव प्रचार अभियान समिति के चेयरमैन संजय सिंह भी अमेठी से बाहर नहीं निकल पाए। दरअसल, अमेठी सीट से उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रही थीं।
इस पर उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी अमीता सिंह को भी इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर खड़ा कर दिया।
गठबंधन के प्रत्याशी सपा के मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति भी यहीं से खड़े थे। संजय सिंह का सारा जोर इस बात पर था कि किसी तरह उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह चुनाव हार जाएं, इसलिए वे इस सीट में ही उलझकर रह गए।
भाजपा का दामन छोड़ हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू यूपी में चुनाव प्रचार करने नहीं आए। जबकि उनकी मांग कई प्रत्याशियों ने की थी। लेकिन वे यूपी के किसी भी जिले में कांग्रेस के लिए वोट मांगने नहीं आए। उन्होंने केवल अपने प्रदेश पंजाब में ही चुनाव प्रचार किया।
ये स्टार प्रचारक भी अपने क्षेत्र से नहीं निकल पाए
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री भी केवल फैजाबाद तक ही सीमित रहे। वे इसके अलावा कहीं पर भी प्रचार करने नहीं गए। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह भी सूबे में कही पर भी चुनाव प्रचार करने नहीं निकले। उन्होंने कुशीनगर में ही इक्का-दुक्का जनसभाएं कीं। जबकि इन दोनों का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में दर्ज था।