तीन माह से दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का विस्तार अब पश्चिमी यूपी से बाहर करने की तैयारियां हैं। इसके लिए किसान पंचायतों का सिलसिला शुरू हो गया है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत अवध के बाराबंकी और पूर्वांचल के मुंडेरवा (बस्ती) में किसान महापंचायतों को संबोधित कर चुके हैं। राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी लखीमपुर खीरी व बस्ती में किसान पंचायतें कर चुके हैं। कई अन्य जिलों में पंचायतों की तारीखों का एलान जल्द किया जाएगा।
तीन कृषि बिलों की वापसी और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर भाकियू पश्चिमी यूपी में आंदोलन को गरमा चुकी है। कई गांवों में भाजपा नेताओं का विरोध भी हुआ है, उनके आने की पाबंदी के बैनर भी टांगे गए हैं। जवाब में भाजपा नेता, मंत्री, विधायक, सांसद गांवों में जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। हालांकि अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड के कुछ किसान गाजीपुर बॉर्डर पर है, लेकिन भाकियू की कोशिश है इन क्षेत्रों में महापंचायतें कर किसानों को कृषि बिलों और सरकार के हठधर्मी रवैये की जानकारी दी जाए।
भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा ने कहा कि मिर्जापुर, वाराणसी, गोरखपुर, फतेहपुर के अलावा एक पंचायत बुंदेलखंड में किए जाने की योजना है। भाकियू के राष्ट्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलते ही तारीखों की घोषणा कर दी जाएगी।
किसानों को बेइज्जत करने से बाज आए
हरिनाम ने कहा कि डिबेट में भाजपा प्रवक्ताओं के बयानों से आहत होकर सीतापुर का किसान अपनी फसल को नष्ट करने जा रहा है। उसे समझाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने भाजपा नेताओं को चेताया है कि वे किसानों का अपमान करने से बाज आएं। देश का किसान तभी मानेगा जब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बने और तीनों कृषि कानून वापस हों।