प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रविवार को वाराणसी से काशी महाकाल एक्सप्रेस को रवाना किए जाने के बाद इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। दरअसल इस ट्रेन में एक सीट भगवान शिव के लिए भी आरक्षित है। जिसे लेकर एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
ओवैसी ने इसे लेकर पीएमओ को टैग करते हुए संविधान की प्रस्तावना ट्वीट किया है। बता दें कि यह एक्सप्रेस दो राज्यों के तीन ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करेगा। यह ट्रेन इंदौर के निकट ओंकारेश्वर, उज्जैन में महाकालेश्वर और वाराणसी में काशी विश्वनाथ को जोड़ेगी।
स्थायी तौर पर भगवान शिव के लिए एक सीट होगी आरक्षित
ट्रेन में भगवान शिव के लिए सीट आरक्षित करने ने नए विचार के बाद रेलवे प्रशासन इस पर विचार कर रहा है कि ट्रेन में स्थायी तौर पर भगवान शिव के लिए एक सीट आरक्षित की जाए। उत्तर रेलवे के अनुसार काशी महाकाल एक्सप्रेस के कोच संख्या बी 5 की सीट संख्या 64 भगवान के लिए खाली की गई है।
रेलवे के अनुसार ऐसा पहली बार हुआ है जब एक सीट भगवान शिव के लिए आरक्षित और खाली रखी गई है। सीट पर एक मंदिर भी बनाया गया है ताकि लोग इस बात से अवगत हों कि यह सीट मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल के लिए है। रेलवे ऐसा स्थायी तौर पर करने के लिए विचार कर रहा है।
सभी कोचों में शिव-शिव , एक मंदिर भी
इस ट्रेन की खासियत यह है कि इसके एसी-3 श्रेणी के सभी कोच में हर समय ऊं नम: शिवाय मंत्र बजता रहता है। इस मंत्र समेत भगवान शिव के अन्य भजनों की धुन भी बजती रहती है। इसमें बैठने पर एहसास होगा कि यह ट्रेन काशी विश्वनाथ से महाकालेश्वर के दर्शन कराने जा रही है।
पहले दिन कोच बी-5 में साइड अपर सीट में भगवान शिव का छोटा सा मंदिर भी बनाया गया और इसमें भजन कीर्तन वाली टोली भी शामिल रही। इसके अलावा इसमें यात्रियों का स्वागत करने के लिए भगवा-पीले वस्त्र धारण किए पुरुष ट्रेन होस्ट मौजूद रहे। वहीं, तेजस एक्सप्रेस में महिला ट्रेन होस्टेस हैं।
सुविधा जनक कोच, सुरक्षा का खास ध्यान
ट्रेन के सभी एसी-थ्री कोच खूबसूरत होने के साथ ही सुविधाजनक हैं। इसमें सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सभी कोचों में सीसीटीवी कैमरे हैं। निगरानी के लिए कोच अटेंडेंट की सीट के ऊपर एलसीडी डिस्प्ले लगा है। इसके माध्यम से अटेंडेंट सभी गतिविधियों की निगरानी करेगा।
दिक्कत होने पर बिना बुलाए फौरन पहुंच भी जाएगा। हालांकि, ट्रेन एस्कॉर्ट में आईआरसीटीसी का अपना एस्कॉर्ट है। इसमें जीआरपी-आरपीएफ नहीं चलेगी। टीटीई भी तेजस की तरह आईआरसीटीसी के होंगे। साइड लोवर सीट को मोड़ने के बजाय किनारे स्लाइडिंग से नीचे किया जा सकता है। अगले स्टेशन के बारे में बताने के लिए गेट के ऊपर डिस्प्ले लगे है।
अन्य मामलों में इसके कोच किसी आम एक्सप्रेस ट्रेन के एसी-3 कोच की तरह हैं। तेजस एक्सप्रेस और वंदे भारत एक्सप्रेस ज्यादा हाईटेक हैं। इसमें ऑटोमैटिक खुलने, बंद होने वाले दरवाजे नहीं हैं और न ही ऑटोमैटिक खुलने-बंद होने वाले डस्टबिन हैं।