उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर बीजेपी, कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी(बसपा) ने किसी भी प्रत्याशी को मैदान में नई उतारा है। जिसके चलते अब जिला पंचायत अध्यक्ष की सीधी लड़ाई समाजवादी पार्टी(सपा) व निर्दलीय प्रत्याशी के बीच देखने को मिल रही है। माना जा रहा है कि जिला अध्यक्ष पद को अपने कब्जे में करने के लिए 17 का जादुई आंकड़ा ना तो अभी तक सपा के पास है और ना ही निर्दलीय प्रत्याशी के पास। इसके बावजूद दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशी अपनी जीत के लिए दमखम दिखा रहे हैं।
दांव पर बीजेपी सांसद की प्रतिष्ठा
कानपुर देहात जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भले ही बीजेपी ने प्रत्याशी न उतारा हो लेकिन बीजेपी और बीजेपी सांसद की प्रतिष्ठा कानपुर देहात जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर दांव लगी हुई है। इसके पीछे की मुख्य वजह कानपुर देहात के अकबरपुर से सांसद देवेंद्र सिंह भोले माने जा रहे हैं क्योंकि निर्दलीय रूप में इनकी बहू नीरज रानी मैदान में ताल ठोक रही हैं। वहीं सपा के निवर्तमान अध्यक्ष राम सिंह यादव एक बार फिर से मैदान में हैं।
उधर निर्दलीय प्रत्याशी नीरज रानी से कहीं ज्यादा प्रतिष्ठा कानपुर देहात के सांसद देवेंद्र सिंह भोले की दांव पर लगी हुई है। माना जा रहा है कि प्रतिष्ठा कि लड़ाई में सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने बहू को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। वहीं सपा के निवर्तमान अध्यक्ष राम सिंह यादव भी सीधी टक्कर सांसद की बहू को दे रहे हैं। अपनी कुर्सी को बचाने के लिए उन्होंने जीत कर आए अन्य निर्दलीय सदस्यों को अपनी और करने में ताकत झोंक रखी है।
नीरज रानी पार्टी से हुई थी निष्कासित
कानपुर देहात के जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए ताल ठोक रही निर्दलीय प्रत्याशी नीरज रानी को बीजेपी ने जिला पंचायत सदस्य की टिकट नहीं दी थी। जिसके बाद वह पार्टी के निर्देशों के खिलाफ जाकर निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गई थी। नीरज रानी को पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने पर भाजपा ने निष्कासित कर दिया था। लेकिन उन्होंने चुनाव जीतकर खुद की पकड़ साबित कर दी। पार्टी ने भले ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर नीरज रानी को टिकट न दिया हो लेकिन भाजपाई उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं। भाजपा के पास केवल चार सदस्य हैं, उनमें से तीन सांसद के खेमे में पहुंच गए हैं।
अध्यक्ष पद के लिए चाहिए 17 सदस्य
कानपुर देहात में जिला पंचायत के 32 सदस्य हैं। इसमें 11 सपा के पास हैं। जबकि 11 सदस्य निर्दलीय हैं। जिसमें सपा के निवर्तमान अध्यक्ष राम सिंह यादव भी निर्दलीय जीते हैं। इसके बाद पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष पद पर प्रत्याशी बनाया है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाने के लिए किसी भी प्रत्याशी को 17 सदस्य चाहिए होंगे। जो उनके साथ खड़े हो।
इसमें सबसे बड़ी भूमिका निर्दलीय सदस्यों की है। इसके बाद बसपा के 6 सदस्य और बीजेपी के 4 सदस्य भी अध्यक्ष की सीट तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में हैं।