हालांकि तीन नामों का खुलासा नहीं हो पाया है। अब पीएम मोदी और शाह शुक्रवार दोपहर से पहले इन नामों में से किसी एक पर सहमति बनाएंगे। उक्त सूत्र का कहना है कि उत्तर प्रदेश में बिना चेहरे के चुनाव में उतरी भाजपा की जीत में सिर्फ पीएम मोदी का योगदान है।
ऐसे में अंतिम फैसला जाहिर तौर पर उनका ही होगा। हमेशा अपने फैसलों से चौंकाने वाले पीएम उत्तर प्रदेश में चेहरा तय करने के मामले में भी सबको चौंकाएंगे। नेतृत्व सियासी रूप से सबसे महत्वपूर्ण इस सूबे में मिले प्रचंड जनादेश के कारण पहले ही उलझा हुआ था।
वह तय नहीं कर पा रहा है कि इस बड़े सूबे को संभालने के लिए किसी बड़े और करिश्माई चेहरे को आजमाया जाए या फिर लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की ऐतिहासिक जीत की पटकथा लिखने वाले गैर यादव ओबीसी पर भरोसा जताया जाए।
समस्या यह भी है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को अगड़ी और गैर यादव पिछड़ी जातियों दोनों के ही एकमुश्त वोट मिले हैं। चूंकि नेतृत्व ने उत्तराखंड के चेहरे पर भी अंतिम मुहर नहीं लगाई है। ऐसे में संदेश साफ है कि फिलहाल उत्तर प्रदेश के बारे में भी अंतिम फैसला नहीं हुआ है।
दो साल बाद ही लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पीएम मोदी और शाह को ऐसे चेहरे का चयन करना है जो लोकसभा चुनाव तक पार्टी के प्रभाव को बनाए रख सके। इसके लिए अगर अगड़ी जाति पर भरोसा किया गया तो फिर पिछड़ी जाति को साधने का फार्मूला बनाना दूसरी बड़ी चुनौती होगी। हालांकि शाह और मोदी की पहली पसंद गैर यादव ओबीसी चेहरे पर दांव लगाना है।
विस अध्यक्ष के लिए पचौरी, सत्यप्रकाश का नाम
विधानसभा अध्यक्ष के लिए नेतृत्व ने गोविंदपुर के विधायक सतीश पचौरी और मेरठ के विधायक सत्यप्रकाश के नाम पर मंथन किया है। अध्यक्ष इन्हीं दो में से कोई एक होगा।