भुवनेश्वर-
ओडिशा के एक लड़के को कथिततौर पर नासा से एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भेजा गया निमंत्रण नकली निकला। अक्टूबर 19 में सुभ्रांशु नायक को नासा की तरफ से एक पत्र मिला था, जिसमें उन्होंने ‘माविक ड्रोन प्रोजेक्ट ’के अपने आविष्कार के लिए अमेरिका में नासा मुख्यालय में एक प्रतियोगिता में उनके चयन की जानकारी दी गई थी। एक बैग बेचने वाले के बेटे सुभ्रांशु नायक को अंतरिक्ष एजेंसी से पत्र मिलने के बाद उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। नौंवी कक्षा के छात्र सुभ्रांशु नायक ने एक माविक ड्रोन विकसित किया था, जिसे दुर्घटनाग्रस्त लोगों की मदद के लिए अलग-अलग स्थानों पर भेजा जा सकता था।
महज 65 रुपए की लागत से ड्रोन बनाने में सुभ्रांशू को तीन महीने का समय लगा था। उसके स्कूल के प्रिंसिपल को संबोधित कर लिखे गए पत्र में नासा की तरफ से लिखा गया था कि हमें आपके छात्र से प्रोजेक्ट प्लानिंग मिली है। प्रोजेक्ट प्लानिंग उसकी उम्र के लिहाज से बेहतर है। इसलिए हमारी टीम ने आपके छात्र को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता- नासा स्पेस सेटलमेंट प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चुना गया है।
ई-मेल में नासा के वैज्ञानिक जेम्स एल ग्रीन के हस्ताक्षर भी थे, जिन्होंने एक पत्र में कहा था कि एजेंसी ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए सुभ्रांशु नायक का चयन किया था। हम हमेशा उज्ज्वल वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की तलाश में रहते हैं, ताकि हमारी मदद की जा सके। इसलिए आपका छात्र कड़ी मेहनत से पढ़ाई करेगा और प्रतियोगिता में अच्छा करेगा। हम इस प्रतियोगिता में नासा में आपके छात्र को देखने की उम्मीद करते हैं|
इसके बाद प्लैनेटरी साइंस डिवीजन के “निदेशक” जेम्स ग्रीन का एक अन्य मेल मिला। इस बार के मेल में व्याकरण संबंधी और वर्तनी की कई गलतियां थीं। पत्र में कहा गया है कि ग्रीन चाहेंगे कि नायक 28 नवंबर 2019 से 10 जनवरी 2020 तक इस प्रतियोगिता के लिए अमेरिका आएं। इसमें यह भी बताया गया था कि भारत के दो छात्रों सहित दुनिया भर के 138 प्रतिभागियों को नासा के अंतरिक्ष स्पेस सेटलमेंट सेंटर का दौरा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
पत्र में आगे लिखा था- मैं पुष्टि करता हूं कि मेरा नाम डॉक्टर जेम्स एल ग्रीन है और मैं नासा एम्स सेंटर के विज्ञान विभाग में काम करता हूं। जैसा कि मैं एक अमेरिकी नागरिक हूं, मुझे पता है कि मैं अपने आगंतुकों के लिए जिम्मेदार हूं और वह यात्रा मेरे द्वारा फाइनेंस की जाएगी। अपनी यात्रा के दौरान वे मेरे साथ रहेंगे। मेल में ग्रीन के हस्ताक्षर भी थे।
हालांकि, जेम्स ग्रीन अप्रैल 2018 तक प्लैनेटरी साइंस डिपार्टमेंट के निदेशक के रूप में काम कर रहे थे और उसके बाद से वह इसके मुख्य वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं। ईमेल के नीचे दिए गए दो मोबाइल फोन नंबर भी फर्जी निकले। एक क्षेत्रीय टीवी चैनल से बात करते हुए सुभ्रांशु ने बताया कि मुझे बॉलीवुड फिल्म ‘3 इडियट्स’ देखने के बाद ड्रोन विकसित करने की प्रेरणा मिली। इसके बाद मैंने यूट्यूब पर हैदराबाद के एक व्यक्ति के नासा के प्रतियोगिता में चुने जाने का पता चला, जिसने ड्रोन के मॉडल को विकसित किया था।सुभ्रांशु ने कहा कि मैंने उनसे संपर्क किया और नासा की वेबसाइट पर अपना प्रोजेक्ट अपलोड किया। चार दिन बाद, मुझे एक संदेश मिला कि मुझे प्रतियोगिता के लिए चुना गया है। मेरे पिता ने परियोजना के लिए मुझे जो कुछ भी मुझे चाहिए था, वह सब मुहैया करवाया। मगर, अब पता चला है कि वह मेल फर्जी था। इस बारे में अंगुल एसपी जगमोहन मीणा ने कहा कि हमारे साइबर सेल ने मामले की जांच की। यह पता चला है कि यह एक फर्जी ई-मेल है और वास्तविक नहीं है। चूंकि आरोपी नाबालिग है, इसलिए हम उसकी पहचान उजागर नहीं कर सकते। एक विस्तृत रिपोर्ट जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को सौंपी जाएगी।